वृक्षासन किसे कहते हैं/What is Vriksasana
Vrikshasana (वृक्षासन ) : वृक्षासन यह संस्कृत का शब्द है इसे हम अलग करें तो वृक्ष और आसान दो शब्दों से मिलकर बना है | वृक्ष का मतलब होता है पेड़ और आसान का मतलब होता है मुद्रा | अंग्रेजी में ट्री पोज कहते हैं | इस आसन में वृक्ष के समान आकृति बनी हुई होती है | हमारे महान ऋषि मुनियों ने पेड़, पशु, पक्षियों की आकृतियों को देखकर के आसन बनाए हैं और उन आसनों से हमें शक्ति स्थिरता मिलती है | वृक्षासन में भी गंभीरता, विशालता, बेलेंस बनाये रखने की प्रेरणा मिलती है | इसे नियमित अभ्यास करने से शरीर में ऊर्जा, शक्ति, स्थिरता आती है और हर समस्याओं में पेड़ के समान मजबूत खड़े रहना | शरीर को रोगों से लड़ने में मजबूत बनाता है | एकाग्रता लाता है | स्थिरता लाता है | शरीर का बैलेंस बनता है |
वृक्षासन के फायदे/Benefits of Vrikshasana
1.यह एक संतुलनात्मक आसन है |
2.यह शारीरिक एवं मानसिक शक्ति को बढाता है |
3.जंघा एवं पिण्डली की मांसपेशियां मजबूत होती हैं |
4.एकाग्रता बढ़ती है |
5.तनाव दूर होता है |
6.मन तथा शरीर का संतुलन बनता है |
7 .यह आसन मन को शांत करता है एवं एकाग्रता बढ़ाने में मदद करता है |
8. यह शरीर को मजबूत और लचीला बनाता है |
9. यह आसन बच्चों में शारीरिक एवं मानसिक वृद्धि बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है |
10. इस आसन को करने पर कमर कंधा छाती के हिस्से पर खिंचाव आता है | जिससे संपूर्ण शरीर में रक्त का संचार संतुलन करने में मदद करता है |
11.हाँथ और पैर को मजबूती प्रदान करता हैं |
12.नर्वस सिस्टम स्ट्रोंग बनता हैं व नर्वस सिस्टम की कमजोरी को दूर करता है |
वृक्षासन की सावधानियां/Tree care precautions
1.सीधी खड़े होकर करना चाहिए |
2.मुड़ा हुआ घुटना कंधे की दिशा की ओर होना चाहिए |
3.हिलते डुलते हुए न करे धीरे धीरे संतुलन बनाकर करें |
4 यदि घुटने या कमर में तथा एड़ियों में गंभीर दर्द की समस्या हो तो इस आसन को न करें |
5 जिन व्यक्तियों को वर्टिग्रोयानी सिरदर्द जैसी समस्या है उन्हें इस आसन को नहीं करना चाहिए |
6 मोटापे एवं गठिया की समस्या होने पर भी इस आसन को न करें या फिर योग प्रशिक्षक की सलाह में करें |
7 हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को इस आसन को करते समय हाथ को ऊपर की ओर नहीं ले जाना चाहिए बल्कि जिनको ऐसी समस्या है वह अंजलि मुद्रा में अपनी हाथी स्थिति को रखें |
8 महिलाओं में मासिक धर्म चक्र की अवस्था में इसे नहीं करना चाहिए तथा गर्भवती महिलाओं को डॉक्टर की सलाह में करना चाहिए |
9 यह एकसंतुलन कारी आसन है इसलिए शुरुआत में जब इसका अभ्यास करें तो जल्दबाजी न करें तथा योग प्रशिक्षक के सलाह में ही अभ्यास करें |
10 यदि पैर कमर एवं कूल्हों में किसी प्रकार की चोट लगे हो तो इस आसन का अभ्यास न करें |
Vrikshasana (वृक्षासन ) की विधि/Method of Tree Administration
1.दोनों पैर मिलाकर खड़े हो जाएँ हाँथ जंघाओं से सटे रहेंगे द्रष्टि सामने को ओर रहेगी |
2.अपना दाहिना पैर घुटने से मोड़ कर तलवे को बायीं थाई से लगायें एड़ी सेवनी से टच रहेगी |
3.दोनों पैरों को नमस्कार की मुद्रा में ले आयें |
4.थोड़ी देर के बाद मुड़ा हुआ दाहिना पैर सीधा कर लीजिये |
5.इसी प्रकार अब बाएं पैर से करें |
6.यह एक स्टेप हुआ इसी प्रकार 2 से तीन बार करें |
7.चक्कर आना या शरीर में कमजोरी महसूस होने पर इस आसन को न करें |
8.आप हाथों को ऊपर ले जाते समय या नमस्कार की मुद्रा में होने पर गहरी स्वास लेकर रोक सकते हैं |
9.इस आसन को धीरे-धीरे सावधानी पूर्वक करें |
वृक्षासन का वीडियो
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