उज्जायी प्राणायाम
उज्जायी यह संस्कृत का शब्द है | जिसका अर्थ होता है जीतना | यह शब्द जय धातु से बना है | जीतना, ऊंचाई, विजय होना, शक्तिशाली, सफलता आगे को प्राप्त करने वाला उज्जायी शाब्दिक अर्थ प्रयोग में आता है | यह विशेष प्रकार के प्राणायाम स्वास्थ्य व्यायाम को संदर्भित करता है | उज्जायी प्राणायाम को विजयी स्वास कहा जाता है क्योंकि यह स्वास नियंत्रण और एकाग्रता को बढ़ाने में मदद करता है |
उज्जायी प्राणायाम फॉर थाइरोइड
थाइरोइड यह गले में सेम के आकार की ग्रंथि होती है जिसमे हार्मोन्स का सेक्रेसन (hormone secretion) होता है | यह मुख्य रूप इसके दो प्रकार हैं | हायपोथाइरोइड और हायपरथाइरोइड इसके बढ़ने या घटने से व्यक्ति अधिक मोटा या पतला हो जाता है और शरीर की कार्य क्षमता कम हो जाती है अन्य स्वस्थ परेशानियों का कारण बन जाता है यह पुरुष की अपेक्षा स्त्रियों में ज्यादा होता है |
थाइरोइड को जड़ से ख़त्म करने का अचूक उपाय
दोनों ही प्रकार का थाइरोइड उज्जायी प्राणायाम से पूरी तरह ठीक हो जाता है अन्य किसी भी प्रकार की मेडिसिन से पूरी तरह ठीक नहीं होता केवल कंट्रोल में रहता है | आपको हमेशा दवाइयां खानी पड़ती हैं, इसके लिए मेडिसिन के साथ उज्जायी प्राणायाम करें और धीर.धीरे दवाइयां छोड़ते जाएँ |
उज्जायी प्राणायाम करने की विधि
1.किसी भी सुविधाजनक आसन में बैठ जाएँ स्पाइन सीधी गर्दन सीधी | पद्मासन या सिद्धासन सबसे अच्छा है |
2.सिर की आगे झुकाते हुए कंठ का थोडा संकुचन करें दोनों नाक से श्वास धीरे.धीरे लें कंठ का स्पर्स करे और थोड़ी आवाज हो | घर्षण जैसी आवाज हो |
3.श्वास लेते समय छाती को फुलाएं पेट न फूले |
4.श्वास अन्दर लेना पूर्ण हो जाने पर दाहिने स्वर को बंद कर बाएं स्वर से धीरे.धीरे श्वास बाहर निकाल दें |
5.कुम्भक 10 सेकेण्ड से ज्यादा करना हो तो जालंधर बन्ध और मूल बन्ध भी लगायें इस प्राणयाम में सदैव दाई नासिका को बंद करके बाई नासिका से रेचक अर्थात हमेशा बाएं नासिका से स्वास को छोड़ना चाहिए |
उज्जायी प्राणायाम अवधि
प्रारंभ में 3 से 5 बार करें अभ्यास होने पर 10 से 20 मिनट तक कर सकते हैं |
उज्जायी प्राणायाम के नुकसान
जो व्यक्ति से बहुत अधिक अंतर्मुखी होते हैं | उन्हें यह अभ्यास नहीं करना चाहिए | ह्रदय रोग से पीड़ित व्यक्तियों को उज्जायी के साथ बंधों एवं कुम्भक का अभ्यास नहीं करना चाहिए | उच्च रक्तचाप में धीरे धीरे योग टीचर के मार्ग दर्शन में करना चाहिए |
उज्जायी प्राणायाम के फायदे
- यह प्राणायाम शांति प्रदान करता है शरीर में तापमान की वृद्धि करता है |
- योग उपचार में इसका उपयोग तंत्रिका तंत्र को स्वस्थ बनाने तथा मन को शांत करने के लिए किया जाता है |
- यह अनिद्रा को दूर करने में सहायक है निद्रा के पहले इसका अभ्यास किया जा सकता है |
- जब कुम्भक एवं बंधों के बिना इसका अभ्यास किया जाता है तो यह ह्रदय गति को मंद बनाता है, तथा उच्च रक्तचाप से पीड़ित व्यक्तियों के लिए भी लाभकारी है |
- यह शरीर की सप्त धातुओं – रस, रक्त, मांस, मेध, मज्जा, अस्थि, वीर्य के दोषों को दूर करता है |
- उज्जायी प्राणायाम के अभ्यास से व्यक्ति को कफ, कब्ज, आंव, आंत, कोफोड़ा, जुखाम, बुखार, यकृत विकार, अजीर्ण, जलोदर, क्षय, पीलिया, टांसिल, मानसिक तनाव, फुफ्फुस एवं कंठ विकारआदि के रोग नहीं होते मृत्यु एवं बुढ़ापे का भय भाग जाता है | सामन्य रूप से प्रत्याहार से विशेष लाभ होता है |
- गले को निरोगी (रोग मुक्त) एवं मधुर बनाने हेतु इसका नियमित अभ्यास करना चाहिए |
- कुण्डलिनी-जागरण अजपा.जप ध्यान आदि के लिए बहुत उत्तम प्राणायाम है | इससे बच्चों का तुतलाना भी ठीक होता जाता है |
- चिंता तनाव को दूर करता है |
- एकाग्रता और मानसिक शांति को प्रदान करता है |
- पाचन क्रिया का सुधार करता है चयापचय को बेहतर बनाता है |
- रक्तचाप और हृदय गति को नियंत्रित करता है |
- रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है |
- खर्राटे आना बंद हो जाता है |
उज्जायी प्राणायाम की सावधानियां
- स्वास्थ्य संबंधी रोग होने पर इसे ना करें |
- गर्भावस्था के दौरान इस प्राणायाम को ना करें |
- अत्यधिक जोर ना लगायें |
- पहले इसका अभ्यास बिना कुंभक और बिना जालंधर के करें |
- अभ्यास होने के बाद बंध और कुंभक के साथ करें |
नोट –
उज्जायी प्राणायाम का भ्यास खड़े होकर बैठकर लेटकर भी किया जा सकता है | स्लिपडिस्क या कशेरुंका संधि शोथ से पीड़ित व्यक्ति उज्जायी का अभ्यास वज्रासन या मकरासन में कर सकते हैं | उज्जायी का अभ्यास करते हुए चेहरे की मांसपेशियों को संकुचित न करें फेश को सामान्य शिथिल रखने का प्रयास करें |
उज्जायी प्राणायाम का वीडियो