पीसीओडी क्या है ? What is PCOD/PCOS
पॉलीसिस्टिक ओवरी डिजीज यह माताओं, बहनों, महिलओं को होने वाली समस्या है | समय पर न खाना, समय पर न सोना, खाने पीने की गलत आदतें, चिंता करना आदि कारणों से उनके शरीर में हारमोंस का लेवल ख़राब हो जाता है | महिलाओं के शरीर में हारमोंस का एंड्रोजन लेवल बढ़ जाता है | इससे महिलाओं में पुरुषों जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं |
पीसीओडी एक ऐसी बीमारी है जो हारमोंस के इनबैलेंस से होती है | स्त्रियों को हर महीने अंडा बनता है | वह ओवरी में निकलता (रिलीज) होता है | (जिसे माहवारी, एमसी, मेंसेस कहा जाता है यह प्राकृतिक है माँ बनने की निसानी हैं) वही हारमोन्स अंडेदानी में ख़राब होने लगते हैं |
अंडा बनना बंद हो जाता है | अंडे दानी बड़ी हो जाती है | उसकी जगह पानी की छोटी-छोटी गोलियां बन जाती हैं | जिसे रसोली कहते हैं | वह अंडे रसोली बन गए उसे बाहर निकलने नहीं देती हैं अंडा बाहर नहीं निकलता ऐसे में लेडीस को माहवारी या तो कम आती है या आती ही नहीं | प्रेगनेंसी नहीं होती है, कंसीव नहीं होती, गर्भधारण नहीं होता |
पीसीओडी के लक्षण PCOD/PCOS
1.मुंह में फुंसियां हो जाती हैं |
2.कान के पीछे बाल हो जाते हैं |
3.चेहरे पर बाल हो जाते हैं बाल झड़ने लगते हैं |
4.सामने से गंजापन हो जाता है |
5.गर्दन काली हो जाती है |
6.जांघों, हाथों के पास में काले धब्बे हो जाते हैं |
7.मोटापा बढ़ा हुआ होता है |
8.मोटापे की वजह से भी मेल हारमोंस बनते हैं |
9.पेट पर बाल आ जाते हैं |
10.बार-बार माहवारी बिगड़ जाती है |
11.रक्त स्त्राव महसूस होता है |
12.गर्भ नहीं ठहरता |
13.शुगर लेवल बढ़ जाता है |
14.कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से हृदय संबंधी बीमारियां बढ़ जाती हैं |
15.आलस्य सा महसूस होना |
16. चिंताओं और सोच में डूबे रहना |
17.जल्दी ही इमोशनल हो जाना |
पीसीओडी होने के कारण PCOD/PCOS
1.जंग फूड अधिक खाना बेकरी प्रोडक्ट ज्यादा खाना |
2.सोने-जगाने खाने-पीने पर ध्यान ना देना |
3.शरीर में पोषक तत्वों की कमी |
4.चाय कॉफी ज्यादा पीना सिगरेट धूम्रपान करना गुटका खैनी तंबाकू खाना |
5.वाइन शराब अल्कोहल आदि पीना |
6.ख़राब दिनचर्या हमेशा बैठे रहना सोते रहना |
7.अधिक मात्रा में भोजन करना एवं देर से पचने वाले पदार्थ खाना |
8.शरीर मोटा होना आसन व्यायाम नहीं करना |
9.चिंता करना तनाव में रहना |
10.योगासन, प्राणायाम, व्यायाम नहीं करना |
12.तली भुनी हुई चीजे ज्यादा खाना, चाट,पकोड़े, पूड़ी, मिठाइयाँ, पैक भूड |
13.गर्भ निरोधक दवा ज्यादा खाना |
14.मन को उत्तेजित करने वाले भाव लाना जैसे- कामवासना, क्रोध |
पीसीओडी का उपचार PCOD/PCOS
सबसे पहले पीसीओडी होने वाले कारणों को समाप्त कर देना चाहिए रोग होने वाले कारण को दूर कर देना चाहिए इसके बाद उपचार करना चाहिए
अपनी लाइफ स्टाइल का सुधार करें
पोषक तत्वों की कमी शरीर में ना होने देना
तला हुआ भोजन ज्यादा फ्राई किया न खाएं
बाहर की वस्तुएं पिज्जा, बर्गर, चाउमीन, मंचूरियन जंक फ़ूड से परहेज करें
दूध और चीनी से बनी हुई पदार्थों कम मात्रा में सेवन करना या न खाना
मैदा से बने पदार्थ ना खाएं
नमक की जगह सेंधा नमक का इस्तेमाल करें
ताजी सब्जियां, ताजे फल, मेवे खाएं जैसे टिंडा, तुरई, घिया, अदरक, करेला, कद्दू, प्याज चुकंदर, मिश्री, मखाने, नारियल, सेव, संतरा, मोसंबी आदि |
नींबू+चुकंदर+मिश्री मिली हुई शिकंजी पीना
दूध की जगह छंछा पीना
ऑलिव ऑयल लेना ओमेगा 3 फैटी एसिड खाना
मीठी चीजों से परहेज करना
चॉकलेट कम मात्रा में खाना या नहीं खाना
प्रोटीन खाना जैसे पनीर, दही, दालें, राजमा (थोड़ी मात्रा में)
गरम पानी पीना
जीरे के पानी का सेवन करना
शुगर बढ़ने नहीं देना
मिठाइयां कम से कम खाना
ताजा भोजन करना
ओवर ईटिंग न करें, पास्ता, पैकिड फ़ूड से बचें
ब्रेड पकोड़ा बिस्किट्स को नहीं खाना
ज्यादा खाना न खाएं पेट (भोजन 50%, पानी 25%, वायु 25%-खाली स्थान)
मोबाइल लैपटॉप कंप्यूटर इंटरनेट का लिमिटेड इस्तेमाल करें-जीतन जरूरी हो
हमेशा खुश रहे चिंता ना करें
कुछ समय अपनों के बीच में बिताएं अच्छी अच्छी बातें करें
टाइम पर सो जाना ज्यादा देर तक न जागना
नियमित व्यायाम करना
वर्थ कंट्रोल टेबलेट न लें / गर्भ निरोधक टेबलेट न लें
नारियल पानी पीना प्लांट बेस भोजन करें
सीजनल फ़ूड खाएं
ऑफिस में लगातार न बैठे रहें बीच-बीच में थोडा स्ट्रेचिंग करते रहें
घर का खाना खाए बहार का न खाएं
रक्त (बिलिडिंग) रोकने के लिए – सीसम, बेलपत्र, गाजर, चुकंदर का जूस लें
पीसीओडी के लिए योगासन PCOD/PCOS
1.बटरफ्लाई
2.मत्स्यासन
3.मकरासन
4.विरित करणी
5.हलासन
6.पादहस्तासन
7.सर्वांग पुष्टि आसन
8.अनुलोम विलोम प्राणायाम
9.कपालभाति प्राणायाम
10.भ्रामरी प्राणायाम
11.उद्गीथ प्राणायाम
12.मेडिटेशन करना
13.जोगिंग जोगिंग करना
14.घूमना फिरना पैदल चलना
आसन इस प्रकार करें जिससे पेट और कमर के आसपास ज्यादा मूमेंट हो
इतना करने के बाद भी ठीक ना हो तो किसी अच्छे गायनेकोलॉजिस्ट की सलाह लें