स्लिप डिस्क के लिए 4 योगासन | Slip Disc Ke Liye 4 Yoga Asana

स्लिप डिस्क के लिए 4 योगासन:

1.मार्जरासन (बिल्ली पोज़) Marjariasana

  • यह आसन रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाने और मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करता है।
  • विधि :
  1. मेट बिछाकर घुटनों और हाथों के बल बैठें।
  2. सांस छोड़ते हुए, अपनी पीठ को ऊपर की ओर उठाएं और सिर को नीचे करें।
  3. सांस लेते हुए, अपनी पीठ को नीचे की ओर झुकाएं और सिर को ऊपर उठाएं।
  4. 10-15 बार दोहराएं।
मार्जरासन (बिल्ली पोज़) Marjariasana
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2.भुजंगासन (कोबरा पोज़) Bhujangasana

यह आसन रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाने और छाती को खोलने में मदद करता है।

विधि :

  1. पेट के बल लेटें, हथेलियां कूल्हों के नीचे ज़मीन पर।
  2. स्वास लेते हुए, धीरे-धीरे छाती को ऊपर उठाएं, कोहनियों को सीधा रखें।
  3. कुछ सेकंड के लिए रुकें, फिर स्वास छोड़ते हुए धीरे-धीरे नीचे आएं।
  4. 10-15 बार दोहराएं।
  • भुजंगासन में योगी का शरीर फन उठाए हुए सांप की आकृति में होता है | इस आकृति में रीढ़ की ऊपरी हड्डियों पर दबाव पड़ता है और वह पुरानी स्थिति में आती हैं |
  • इस योगासन को सूर्य नमस्कार के 12 आसनों में से 7वा आसन माना जाता है | ये शरीर को लचीला बनाने और कमर दर्द से राहत देने में भी मदद करता है |
भुजंगासन (कोबरा पोज़) Bhujangasana
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3.बालासन (चाइल्ड पोज़) Balasana

यह आसन रीढ़ की हड्डी को आराम देने और तनाव कम करने में मदद करता है।

विधि :

  1. घुटनों के बल बैठें, पैरों को पीछे की ओर फैलाएं।
  2. धीरे-धीरे आगे झुकें, माथे को ज़मीन पर टिकाएं।
  3. हाथों को शरीर के बगल में या पीठ के पीछे रखें।
  4. कुछ मिनट के लिए इस स्थिति में रहें।
बालासन (चाइल्ड पोज़) Balasana
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4.शवासन (कॉर्प्स पोज़) Shavasana

  • यह आसन शरीर और मन को आराम देने में मदद करता है।
  • विधि :
  1. पीठ के बल लेटें, पैरों को फैलाएं, हाथों को शरीर के बगल में रखें।
  2. आंखें बंद करें और धीरे-धीरे सांस लें।
  3. शरीर को पूरी तरह से आराम दें।
  4. कुछ मिनट के लिए इस स्थिति में रहें।
  • यह किसी भी आसन के अंत में किया जाने वाला आसन है | शवासन न सिर्फ आपके शरीर को बल्कि आंतरिक ऊर्जा को भी बढ़ता है |
  • शरीर की यही प्राकृतिक ऊर्जा आपके शरीर में हर बीमारी और हर समस्या को ठीक करने में मदद करता है |
शवासन (कॉर्प्स पोज़) Shavasana
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स्लिप डिस्क क्या है

Slip Disc: स्लिप डिस्क, जिसे हर्निएटेड डिस्क भी कहा जाता है, रीढ़ की हड्डी में होने वाली एक स्थिति है। रीढ़ की हड्डी 33 हड्डियों से बनी होती है, जिन्हें कशेरुक कहा जाता है। इन कशेरुकों के बीच डिस्क नामक नरम, गद्देदार संरचनाएं होती हैं। ये डिस्क दो कशेरुकों को जोड़ती हैं और रीढ़ की हड्डी को गतिशीलता प्रदान करती हैं।

स्लिप डिस्क तब होती है जब डिस्क के अंदरूनी भाग (जिसे न्यूक्लियस पल्पोसस) कहा जाता है) बाहरी आवरण (जिसे एनालस फाइब्रोसस) फट जाता है और बाहर निकल जाता है। यह रीढ़ की हड्डी की नसों को दबा सकता है, जिससे दर्द, सुन्नता और कमजोरी हो सकती है।

  • रीढ़ की हड्डी में मौजूद हड्डियां जिन्हें कशेरुका कहा जाता है | इसे सहारा देने के लिए छोटी-छोटी गद्देदार डिस्क होती हैं |
  • रीढ़ की हड्डी को किसी प्रकार के झटकों से, चोट लगने से बचाने में मदद करती है | इसके अलावा इन्हीं डिस्क की मदद से हमारी रीढ़ की हड्डी लचीली बनी रहती है |
  • यदि किसी कारण या चोट से कोई एक या दोनों डिस्क खराब हो जाएं इनमें सूजन या टूटने के कारण ये खुल सकते हैं | इसे ही स्लिप डिस्क कहा जाता है |
  •  स्लिप डिस्क का नाम होने से इसका मतलब नहीं है | रीढ़ की हड्डियों ये डिस्क अपनी जगह से खिसक जाते हैं, बल्कि इसका यह मतलब होता है कि ये डिस्क अपनी सामान्य सीमाओं से आगे बढ़ जाते हैं, फूल जाते हैं या इन डिस्क की बाहरी दीवार में किसी तरह की दरार या छेद हो जाती है |
  • जिससे इसमें मौजूद द्रव जिसे न्यूक्लियस पल्पोसस कहते हैं | इसका रिसाव होने लगता है जिसका प्रभाव रीढ़ की हड्डी या उसके नजदीकी तंत्रिका पर दर्द हो सकता है | इसके कारण एक हाथ या एक पैर में कमजोरी आ सकती है या ऐसी स्थिति दोनों ही हाथों या पैरों को प्रभावित कर सकती है |
  • रीढ़ की हड्डी के किसी भी भाग में स्लिप डिस्क हो सकती है | इसकी सबसे ज्यादा समस्या पीठ के निचले हिस्से को ही प्रभावित करती है | इसकी समस्या आमतौर पर बढ़ती उम्र खासकर 35 से 50 सालके बीच की उम्र के लोगों को ज्यादा प्रभावित कर सकती है |
  • यह बदलती लाइफस्टाइल के वजह से इसकी समस्या छोटे उम्र के लोगों में भी देखी जाती है | इसके अलावा स्लिप डिस्क की समस्या महिलाओं की तुलना में पुरुषों को अधिक हो सकता है |
  • इसके साथ ही ओवरवेट की समस्या भी इसके जोखिम को कई गुना बड़ा सकती है | शरीर का अधिक वजन शरीर के निचले हिस्से में डिस्क पर अधिक प्रेशर का कारण बन सकता है |

स्लिप डिस्क के प्रकार

स्लिप डिस्क के मुख्य तीन प्रकार होते हैं |

  1. सर्वाइकल स्लिप डिस्क की समस्या गर्दन में होती है जिसके कारण सिर के पिछले हिस्से गर्दन, कंधे की हड्डी बांह और हाथ में दर्द हो सकता है |
  2.  थोरेसिक स्लिप डिस्क रीढ़ की हड्डी के बीच के भाग में होता है जिसके कारण पीठ के बीच में और कंधे में दर्द हो सकता है | यह कभी कभी गर्दन, हाथ, उंगलियों, पैरों, कूल्हे और पैर के पंजों में भी दर्द की समस्या हो सकती है | इसके होने की संभावनाएं बहुत ही कम मानी जाती है |
  3.  लंबर स्लिप डिस्क की समस्या रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से में होती है | जिसके कारण पीठ के निचले हिस्से, कूल्हे, जांघ, जननांग क्षेत्रों, पैर और पैर की उंगुलियों में दर्द की समस्या हो सकती है |

 स्लिप डिस्क का कारण  

स्लिप डिस्क के निम्न कारण हो सकते हैं

  1. गलत पोस्चर में बैठना आम कारण है | लेट कर, झुक कर पढना, काम करना या कंप्यूटर के आगे बैठे रहना इसका कारण है |
  2.  अनियमित दिनचर्या, अचानक झुकने, वजन उठाने, झटके के साथ गलत तरीके से उठने बैठने के कारण दर्द हो सकता है |
  3.  सुस्त जीवनशैली शरीरिक गतिविधियां कम होने, व्यायाम न करने, पैदल न चलने से भी मसल्स कमजोर हो जाती है | अत्यधिक थकान से भी स्पाइन पर जोर पडता है और एक सीमा के बाद समस्या या दर्द शुरू हो जाती है |
  4. अत्यधिक शरीरिक श्रम, गिरने, फिसलने, दुर्घटने में चोट लगने, देर तक ड्राइविंग करने से भी डिस्क पर बुरा प्रभाव पड सकता है |
  5. उम्र बढने के कारण हड्डियां, मसल्स कमजोर होने लगती हैं और इससे डिस्क पर जोर पडने लगता है |

 कुछ मुख्य कारण

  1.  जॉइंट्स के डिजेनरेशन के कारण |
  2.  कमर की हड्डियों में या फिर रीढ की हड्डियों में जन्मजात विकृति या संक्रमण हो सकता है |
  3. पैरों में कोई जन्म से ही किसी प्रकार की खराबी या बाद में कोई विकार पैदा होना |

 सामान्य लक्षण

  1. पैर के अंगूठे या पंजे में कमजोरी
  2. स्पाइनल  कॉर्ड  के बीच में दबाव पडने से कई बार हिप या थाईज के आसपास सुन्न महसूस करना |
  3. नसों पर दबाव के कारण कमर दर्द पैरों में दर्द या पैरों की एडी या पैर की अंगुलियों का सुन्न होना |
  4. रीढ के निचले हिस्से में असहनीय दर्द |
  5. चलने फिरने, खड़े होने, झुकने,सामान्य काम करने में भी दर्द का अनुभव या खांसने पर शरीर में करंट सा अनुभव होना |
  6. समस्या बढने पर यूरिन.स्टूल पास करने में परेशानी |

 स्लिप डिस्क के लिए योगासन

Slip Disc Ke Liye 4 Yoga Asana के साथ-साथ अतिरिक्त योगासन

  • स्लिप डिस्क को योग आसन थेरेपी की मदद से आसानी से ठीक किया जा सकता है | इस ट्रीटमेंट को यदि हेल्दी लाइफ स्टाइल और बैलेंस डाइट के साथ फॉलो किया जाए तो लाभ काफी तेज से मिलता है |
  • इसलिए एक अनुभवी शिक्षक के द्वारा हर योग आसन को सावधानी पूर्वक करें | इन सावधानियों को ध्यान में रखते हुए, अपने समर्थ के अनुसार योग को करते हैं तो ये आपकी स्लिप डिस्क के लिए बहुत लाभकारी होगा |

स्लिप डिस्क की समस्या होने पर कुछ और आसनों का अभ्यास किया जा सकता है –

  • उष्ट्रासन
  • उष्ट्रासन रीढ़ की हड्डी की समस्याओं को दूर करने वाला बहुत ही कारगर आसन है | इस आसन में शरीर ऊंट की मुद्रा बनाता है | इस आसन में शरीर को पीछे की तरफ झुकाया जाता है |
  • जिससे रीढ़ की हड्डी पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है | इस प्रेसर (दबाव) के कारण जल्दी ही रीढ़ की हड्डी की समस्याएं जल्दी ही दूर होने लगती हैं |
  • शलभासन
  • इस आसन में पेट के बल जमीन पर लेटकर रीढ़ की हड्डी को पैर उठाकर मोड़ा जाता है | इस स्थिति में योगाभ्यास करने से स्लिप डिस्क और कमर दर्द से राहत मिलनी शुरू हो जाती है |
  • शलभासन में शरीर टिड्ढे के जैसी आकृति बनाता है | इस स्थिति में शरीर को रखने से स्लिप डिस्क के अलावा और भी कई अन्य समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है |
  • त्रिकोणासन (ट्राइएंगल पोज़)
  • वीरासन (हीरो पोज़)
  • सेतुबंधासन (ब्रिज पोज़)

 स्लिप डिस्क में सावधानियां रखें

ये सभी सावधानियां अपनाकर स्लिप डिस्क के दर्द से बचा जा सकता है |

  1. अधिक वजन न उठाएं |
  2. वजन उठाते समय स्लिप डिस्क का ध्यान रखें |
  3. अपना वजन को सामान्य रखें |
  4. कंप्यूटर और मोबाइल का इस्तेमाल करते समय पोस्चर सही रखें |
  5. लगातार लंबी अवधि तक बैठने से बचें |
  6. मांस पेशियों को मजबूत बनाए रखने के लिए नियमित रूप से एक्सरसाइज करें |
  7. बैड का गद्दा सख्त व अधिक नरम ना हो |
  8. बिस्तर पर से एकदम से न उठें पहले बैठें फिर उठें |
  9. झुककर व अत्यधिक वजन न उठाएं |
  10. वेस्टर्न कमोड का इस्तेमाल बेहतर माना जाता है |

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