पादहस्तासन के लाभ Padahastasana
- यह पेट में स्थित अंगों को मजबूत बनाता है और उसकी कार्यप्रणाली में सुधार करता है |
- यह पाचन शक्ति में सुधार करता है | कब्ज दूर होता है |
- इस आसन से लीवर और तिल्ली (Spleen) में सक्रियता आती है |
- इस आसन से पेट की मांसपेशियां स्वस्थ रहती हैं | कमर को पतली करता है |
- यह सिर और शरीर के ऊपरी हिस्से में रक्त संचार को बढ़ाता है |
- यह पैरों की मांसपेशियों के लचीलेपन को बढ़ाता है |
- बच्चों को इस आसन को नियमित रूप से करने से विशेष लाभ मिलता है, उनके लंबाई में वृद्धि होने में समस्याएं नहीं आती | इससे लम्बाई बढती है |
- पादहस्तासन का अभ्यास करने से शरीर की थकान दूर होती है एवं इसका अभ्यास एकाग्रता को बढ़ाता है |
- पादहस्तासन का अभ्यास शरीर को स्वस्थ रखने के साथ-साथ मन को भी तनाव मुक्त कर स्वस्थ रखता है एवं शांति प्रदान करता है |
- इस आसन का अभ्यास करने से ब्लड प्रेशर को नियंत्रण में किया जा सकता है | विशेषकर यह उच्च रक्तचाप से पीड़ित व्यक्तियों के लिए अधिक लाभदायक है |
- पादहस्तासन का नियमित रूप से अभ्यास करने से यह हमारे मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है साथ ही नाक एवं थ्रोट डिजीज से मुक्त कराता है |
- पादहस्तासन का अभ्यास नियमित करने से हमारे हृदय से संबंधित रोग होने की संभावना कम हो जाती है, इसके साथ ही पेट की चर्बी को कम करने में यह काफी मददगार है |
पादहस्तासन की विधि
- पैरों को एक साथ मिलाकर हाथों को शरीर के अगल-बगल रखकर सीधे खड़े हो जाएँ | पैरों के तलवे पर शरीर का भार संतुलित करें |
- स्वांस लेते हुए दोनों हाथों को सिर के ऊपर उठाएं और उन्हें ऊपर की तरफ खींचे |
- स्वांस छोड़ते हुए कमर से आगे की तरफ झुके | पैरों के पास फर्श पर हथेलियों को ले जाएँ और हथेलियों से पैरों का स्पर्स करें |
- इस अवस्था को 10-15 सेकंड तक स्थिति आराम से बनाए रखें |
- इस अवस्था से वापस आने के लिए अपने हांथों को सिर के ऊपर की तरफ उठाते हुए धीरे-धीरे खड़े हो जाएं | फिर धीरे-धीरे हाथों को प्रारंभिक स्थिति में ले आए |
- इसका अभ्यास होने पर इस आसन को स्वासों के साथ करें |
- हाथ ऊपर होने पर स्वास ले, स्वास छोड़ते हुए हाथों को पैर से टाच करें, स्वास लेते हुए हाथ ऊपर करें |
पादहस्तासन की सावधानियां
- पैरों को सीधा रखें |
- हाथों को सीधा रखें और कमर से झुकते समय उन्हें सिर के साथ-साथ नीचे की तरफ ले आइए |
- घुटनों को न मोड़ें |
- जो लोग पीठ दर्द से और साइटिका से पीड़ित हैं, उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए |
- गर्भावस्था के दौरान इस आसन का अभ्यास न करें |
- यदि आप की जांघों में खिंचाव दर्द या सूजन जैसे कोई भी समस्या आ रही हो तो इस आसन का अभ्यास न करें |
- शुरुआत में इसका अभ्यास करने में यह जरूरी नहीं कि आपके हाथ पैरों के पंजे को पूरी तरह से स्पर्श कर पाए ऐसा होने पर जबरजस्ती पैरों तक हाथों को स्पर्श कराने का प्रयास बिल्कुल न करें |
- कमर दर्द में इस आसन का अभ्यास न करें |
- यदि हो सके तो किसी योग प्रशिक्षक के निर्देशन में करें |