कब्ज, अपच, मधुमेह, पेट के रोग दूर करने के लिए ये आसन पवनमुक्तासन सीरिज 2
पवनमुक्तासन भाग 2 कैसे करें
कैसे करते है इसके बारे में जानेगे |
1.उर्ध्व प्रसारित एक पादासन – इसे करने के लिए पीठ के बल लेट जाएँ | दोनों पैरों को मोड़ लें | पैर को एक तरफ और गर्दन एक तरफ करें फिर बदले धीरे धीरे करें | इसी प्रकार लास्ट में वीडियो लिंक है उसे देख कर करें | 2.झुलना लुढकन 3.पवनमुक्तासन 4.चक्र पादासन 5.पाद संचालन 6.शव उदाराकर्षनासना 7.शशांकासन
इससे क्या फायदा होता है | कौन-कौन से रोग दूर होते हैं |
इस पोस्चर से गैस, कब्ज रोग दूर होते है | इस सीरिज में 8 पोस्चर होते हैं | सभी पोस्चर से बीमारियाँ दूर होती हैं | इसे दो से तीन बार प्रत्येक पोज़ को धीरे धीरे करें | यह पेट की चर्बी को कम करते हैं | बैली फेट को घटाता है | इससे कमर पतली होती है | थाई पतली होती है | पैर मजबूत होते हैं | बैरिकोज बेन भी ठीक होता है |
तनाव दूर होता है | क्रोध समाप्त होता है | मधुमेह रोग ठीक होता है | एड्रिनल ग्रंथि का सही सिक्रेसन होता है | सोडियम और पोटेसियम रक्त में बराबर मात्रा में मिलता है | पोटेसियम की मात्रा कम होने से चक्कर आना, हाई ब्लड प्रेसर, हांथो पैरों में झनझनाहट होने लगती है | यह रीढ़ की हड्डियों को मजबूत करने में सहायता करता है
इस आसन के अभ्यास से शरीर को मजबूती मिलती है जिससे हार्ड वर्क करने में भी व्यक्ति को थकान महसूस नहीं होती |
यह आसन पेट से संबंधित समस्या को दूर करता है एवं पाचन संस्थान को सक्रिय बनाने में मदद करता है जिससे एसिडिटी में भी लाभ होता है |
स्त्रियों के लिए गर्भाशय से संबंधित समस्याओं के होने पर इस आसन का अभ्यास बहुत लाभकारी है |
पवन मुक्त आसन के अभ्यास से व्यक्ति के प्रजनन अंगों को यह उत्तेजित करता है एवं पेल्विक मांसपेशियों को उत्तेजित करता है |
वायु विकार में विशेषकर लाभकारी आसन है |
इसके नियमित अभ्यास से फेफड़े स्वस्थ रहते हैं तथा ह्रदय से संबंधित रोगों को नियंत्रित करने में सहायता करता है |
यह सभी वायु-निरोधक आसन हैं |
इस समूह के अभ्यासों के लिए गहरी, सहज श्वास के साथ शारीरिक क्रियाओं को करने के लिए कहा जाता है | श्वास एवं शरीरिक एवं क्रियाओं का होना चाहिए | हमें अभ्यास के प्रारंभ और बीच में श्वास की गति एवं ह्रदय की धड़कन पर ध्यान देना चाहिए | यदि इन दोनों में से किसी की भी गति तेज हो, तो उनके सामान्य होने के बाद ही अगला आसन करना चाहिए | सबसे अधिक तनाव मुक्त करने वाला आसन शवासन है | यह शरीर को शिथिल और शांत बनाता है |
इसमें 8 आसन होते हैं
1.उर्ध्व प्रसारित एक पादासन |
इसमें पैर, गर्दन, थाई की मांसपेशियां मजबूत होती हैं | पैर लचीले होते हैं | इसमें रीढ़ की हड्डी की मालिस होती है | मेरुदंड लचीला बनता है | स्पाइन से सम्बन्धी रोग दूर होते हैं |
2.झुलना और लुढ़कना |
यह आसन पीठ, नितम्बों और कूल्हों की मालिश करता हैं | इस का अभ्यास करना अत्यंत लाभकारी हैं | ध्यान रखें – जिसे मेरुदंड की तकलीफ हो, उसे यह का अभ्यास नहीं करना चाहिए |
3.पवनमुक्तासन |
इस आसन में पेट और फेफड़ों पर दवाव पड़ता हैं | जिससे कब्ज और वायु विकार दूर होते हैं | पेट की मालिश होती हैं | पीठ के निचले भाग को तनाव मुक्त करता हैं | मेरुदंड की कशेरुकाओं को ढीला करता है | पाचन तंत्र के रोग दूर होते हैं |
4.चक्र पादासन |
यह कूल्हों के जोड़, मोटापा, उदर एवं मेरुदंड की मस्पेशियों के लिए अच्छा आसन है |
5.पाद संचालन |
यह कूल्हों एवं घुटनों के जोड़ों के लिए अच्छा हैं | यह उदर एवं पीठ के निचले भाग की पेशियों को शक्ति प्रदान करता है | थाई का फेट दूर होता है | पैर मजबूत होते हैं |
6.शव उदाराकर्षनासना |
पेट की रोग दूर होते हैं | पाचन क्रिया मजबूत होती हैं | पेट की गैस और कब्ज रोग दूर होते हैं |
7.शशांकासन |
यह आसन पेट की पेशियों के लिए, सायटिका स्नायुओं को शिथिल करने और एड्रिनल ग्रंथियों की गतिविधि को नियमित करने के लिए अत्यंत लाभकारी है | क्रोध को दूर करता है | सामान्य यौन सम्बंधित रोग दूर होते हैं |
8.नौकासन |
पेट के रोग दूर होते हैं | कमर और पेट की अतिरिक्त चर्बी घट जाती है |