Surya Namaskar | सूर्य नमस्कार के फायदे | सूर्य नमस्कार के 12 आसन

सूर्य नमस्कार प्रतिदिन करें कम समय में मिलेंगे 13 जबरदस्त स्वास्थ लाभ

सूर्य नमस्कार, योग की एक महत्वपूर्ण और प्राचीन प्रक्रिया है जो शरीर, मन और आत्मा के संयमित विकास को प्रोत्साहित करने में मदद करती है। सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने से शरीर की संरचना मजबूत और सुगठित होती है |सूर्य नमस्कार 12 चरणों में किये जाने वाले आसान हैं |  इनमें 12 मुद्राएं होती हैं | सूर्य करने से शारीरिक, मानसिक शांति मिलती है | इसका सकारात्मक प्रभाव होता है | सूर्य नमस्कार सुबह खाली पेट करना चाहिए | इसे कम से कम छह बार या 12 बार 5 से 10 मिनट प्रतिदिन करना चाहिए | यह बीमारियों से बचाता है | जिसके पास कम समय है वह सूर्य नमस्कार करके कम समय में ही शारीरिक शक्ति को बढ़ाता है | शरीर में ऊर्जा आती है | शारीर के आन्तरिक और बाहरी अंगों को सुडोल बनाता है |सूर्य नमस्कार का अर्थ होता है “सूर्य देव को नमस्कार करना” या “सूर्य देवता को समर्पण”। इसमें 12 आसनों  को किया जाता है, जिन्हें सूर्य की दिशा में किया जाता है।

यह प्रक्रिया सवेरे के समय किया जाता है, जब सूर्य की किरण  पूरे वातावरण को उज्ज्वल करती हैं और हमें ऊर्जा प्रदान करती हैं। सूर्य नमस्कार Surya Namaskar सुबह  पूर्व दिशा में मुख करके किया जाता है और सायं को पश्चिम दिशा को ओर मुख करके किया जाता है |सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने से हमारे शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, साथ ही मानसिक चिंता और तनाव को कम करने में भी मदद मिलती है। यह आत्मा को शांति और सुकून प्रदान करता है | सूर्य नमस्कार Surya Namaskar पूरी तरह से संयमित और स्वास्थ्यपूर्ण योग प्रक्रिया है |

सूर्य नमस्कार के 12 आसन कौन-कौन से हैं?

1.प्राणामासन (Pranamasana), 2.हस्तोत्तानासन (Hastottanasana), 3.पादहस्तासन (Padahastasana), 4.अश्वसंचालनासन (Ashwa Sanchalanasana), 5.पर्वतासन (Mountain Pose), 6.अष्टांग नमस्कार (Ashtanga Namaskar), 7.भुजंगासन (Bhujangasana), 8.पर्वतासन (Mountain Pose), 9.अश्वसंचालनासन (Ashwa Sanchalanasana), 10.पादहस्तासन (Padahastasana), 11.हस्तोत्तानासन (Hastottanasana), 12.प्राणामासन (Pranamasana)

Surya Namaskar
Surya Namaskar

Surya Namaskar Steps  सूर्य नमस्कार 12 आसन

सूर्य नमस्कर कैसे करते हैं | सूर्य नमस्कर विधि  |

1.प्राणामासन (Pranamasana)

1.प्राणामासन (Pranamasana)
1.प्राणामासन (Pranamasana)

यदि संभव हो तो सूरज की ओर मुंह कर लें दोनों पैरों को सटाकर खड़े हो जाएं | हथेलियां प्रणाम की मुद्रा में छाती के ऊपर हो, सजगता के साथ तब तक पूरक (स्वास को लेना) और रेचक (स्वास को छोड़ना) करें जब तक सांस सामान्य न हो जाये | संपूर्ण शरीर पूरी तरह शिथिल हो स्थिर हो मेरुदंड सीधा रहे लेकिन उस में कड़ापन नहीं हो |

लाभ-यह आसन किए जा रहे अभ्यास में एकाग्रता शांति और सजगता उत्पन्न करता है |

 

2.हस्तोत्तानासन (Hastottanasana)

2.हस्तोत्तानासन (Hastottanasana)
2.हस्तोत्तानासन (Hastottanasana)

हाथों को धीरे.धीरे सिर के ऊपर उठाते हुए गहरी सांस लें | हाथों के बीच कंधों जितनी दूरी बनाए रखें | पीठ को चाप की भांति मोडते हुए श्रेणी प्रदेश थोड़ा झुका लें और फिर आराम से जितना संभव हो पीछे की ओर मोड़ प्रारंभ में मेरुदंड थोड़ा ही पड़ेगा अभ्यास के साथ सबका अकार बढ़ाएगा |

 लाभ-यह आसन उदार स्थिति सभी अंगों पर खिचाव आता है, हाथों एवं कंधों का व्यायाम करता है, मेरुदंड को शक्ति प्रदान करता है और फेफड़ों को पूरी तरह सक्रिय करता है |

 

3.पादहस्तासन (Padahastasana)

3.पादहस्तासन (Padahastasana)
3.पादहस्तासन (Padahastasana)

सामने की ओर धीरे.धीरे झुकते हुए गहरा रेचक करें | घुटने सीधे रहेंगे हाथों की उंगलियां, हथेलियों को पैरों की अंगुलियों के बगल में जमीन पर रखें |

ललाट से घुटनों का स्पर्श करने का प्रयास करें | मेरुदंड कूल्हों के पास से सामने की ओर मुड़ता है | प्रारंभ में आराम से जितना संभव हो उतना ही झुके अभ्यास के साथ यह आसानी से होने लगेगा |

लाभ-यह आसन पेट की तकलीफ को रोकता है उन्हें आराम दिलाता है और उन्हें दूर करता है | यह उदार की अतिरिक्त चर्बी को कम करता है, पाचन को सुचारू बनाता है, कब्ज को दूर करता है, रक्त संचार को बढ़ाता है और रीढ़ को लचीला बनाता है |

 

4.अश्वसंचालनासन (Ashwa Sanchalanasana)

4.अश्वसंचालनासन (Ashwa Sanchalanasana)
4.अश्वसंचालनासन (Ashwa Sanchalanasana)

यह हाथों की हथेलियों या अँगुलियों को जमीन पर पैर के बगल में रखें | बाएं पैर को जितना संभव पीछे की ओर धीरे.धीरे ले जाते हुए गहरी सांस लें और दायें घुटने को मोड़ लें |

बाएं पैर की उंगलियों और बाएं का घुटना जमीन का स्पर्श करते हैं | सिर को ऊपर की ओर मोड़ें, अधिक ऊपर उठाना चाहिए कुछ समय के अभ्यास के बाद अधिक स्पष्ट होने लगेगा अर्थात सरल हो जायेगा |

लाभ-यह आसन उदरीय पेशियाँ जांघों और पैरों की पेशियों को शक्ति प्रदान करता है और स्नायु तंत्र को संतुलित बनाता है |

 

5.पर्वतासन (Mountain Pose)

5.पर्वतासन (Mountain Pose)
5.पर्वतासन (Mountain Pose)

गहरी स्वांस छोड़ते हुए दाहिने पैर को धीरे-धीरे ले जाकर बाएं पैर के बगल में रख ले | इसके साथ ही नितंबों को ऊपर उठाएं और सिर को दोनों हाथों के बीच में झुका दें ताकि पीठ और पैरों से एक त्रिकोण की  दो भुजाएं बन जाए | अंतिम स्थिति में पैर और हाथ बिलकुल सीधे होने चाहिए एड़ियों को जमीन पर रखने की कोशिश करें पेट की ओर देखें |

लाभ-यह आसन हाथों एवं पैरों की स्नायुओं पेशियों को शक्ति प्रदान करता है | इससे रीढ़ का व्यायाम होता है और विशेष रूप से ऊपरी रीढ़ में रक्त संचार सुचारू ढंग से होने लगता है | यह विपरीत करणी आसन जैसी कमर मुड जाती है, जो व्यक्ति निकट दृष्टि दोष के कारण ही शीर्षासन करने में असमर्थ होते हैं वे इसका अभ्यास कर सकते हैं |

 

6.अष्टांग नमस्कार (Ashtanga Namaskar)

6.अष्टांग नमस्कार (Ashtanga Namaskar)
6.अष्टांग नमस्कार (Ashtanga Namaskar)

धीरे.धीरे घुटनों को उसके बाद छाती को अंत में चिन को जमीन पर ले जाएँ | अंतिम स्थित में केवल पैर की उंगलियों, घुटने, छाती, हाथ और चिन जमीन पर स्पर्श करते हैं | इस संतुलन की स्थिति में मेरुदंड, कमर थोडा ऊपर होती है, कुछ अभ्यास के बाद घुटनों, छाती और चिन का एक भाग जमीन से स्पर्श होना चाहिए | इस स्थिति में जमीन में जितना स्वांस छोड़ना और स्वांस लेना आवश्यक हो करें |

लाभ-यह आसन कन्धों एवं गर्दन, पैर और हाथ की पेशियों को शक्ति प्रदान करता है तथा छाती का विकास करता है |

 

7.भुजंगासन (Bhujangasana)

7.भुजंगासन (Bhujangasana)
7.भुजंगासन (Bhujangasana)

गहरी सांस लेते हुए एवं कूल्हों को जमीन पर ले आयें | कोहिनियों को सीधा लें | पीठ को पीछे की ओर मोड़ें और छाती को सामने की ओर धकेल कर सर्प की स्थिति में आ जाए सिर को पीछे की ओर मोड़ें |

लाभ-जैसा कि अष्टांग नमस्कार के लिए दिया गया है | साथ ही इस  आसन में पेट को तानने से उदर (पेट) क्षेत्र के अंगों में रक्त संचार में वृद्धि होती है | यह आसन पेट की सभी समस्याओं के लिए लाभदायक है | मेरुदंड को पीछे मोड़ने से यह लचीला बना रहता है | यहां का रक्त संचार बेहतर बनता है और यहाँ से से निकलने वाली तंत्रिकाएँ सशक्त बनती हैं | यह अभ्यास अनेक हारमोंस को संतुलित करता है |

 

8.पर्वतासन (Mountain Pose)

8.पर्वतासन (Mountain Pose)
8.पर्वतासन (Mountain Pose)

नितंबों को धीरे.धीरे ऊपर उठाते और एडियों को जमीन पर टिकाते हुए पीठ को सीधा कर लें और गहराई से स्वांस को छोड़ें | हांथों और पैर की  स्थिति 5 की तरह रहेगी | द्रष्टि पेट की ओर रखें |

लाभ भी स्थिति 5 के सामान हैं

 

9.अश्वसंचालनासन (Ashwa Sanchalanasana)

9.अश्वसंचालनासन (Ashwa Sanchalanasana)
9.अश्वसंचालनासन (Ashwa Sanchalanasana)

गहरी स्वांस लेते हुए बाएं पैर को धीरे.धीरे दोनों हाथों के बीच ले जाएं | इसके साथ ही दाहिने घुटने को जमीन पर लाएं और कूल्हों को आगे की ओर धकेलें | चिन और पीठ को पीछे की और रखें, स्थिति 4 के सामान रहेगी |

लाभ भी स्थिति 4 के सामान हैं |

 

10.पादहस्तासन (Padahastasana)

10.पादहस्तासन (Padahastasana)
10.पादहस्तासन (Padahastasana)

रेचक (स्वांस छोड़ना) करते हुए धीरे.धीरे दाहिने पैर को बाएं पैर के बगल में सामने ले आयें | घुटनों को सीधा करें और ललाट को बिना तनाव के अधिक से अधिक जितना संभव स्थिति 3 की तरह घुटनों के पास ले जाएं |

लाभ भी स्थिति 3 के सामान हैं |

 

11.हस्तोत्तानासन (Hastottanasana)

11.हस्तोत्तानासन (Hastottanasana)
11.हस्तोत्तानासन (Hastottanasana)

शरीर को कूल्हों से धीरे.धीरे ऊपर उठाते और हाथों को सिर के समांतर ऊपर फैलाते हुए गहरी स्वांस लें कूल्हों को थोड़ा झुकाएँ और हांथों, सिर को पीछे की ओर मोड़ें |

लाभ भी स्थिति 2 के सामान हैं |

 

12.प्राणामासन (Pranamasana)

12.प्राणामासन (Pranamasana)
12.प्राणामासन (Pranamasana)

स्थिति 1 की भांति सीधे खड़े होकर दोनों हथेलियों को छाती के निकट लाते हुए रेचक करें | शरीर को शिथिल कर लें और स्वांस को सामान्य होने दें |

लाभ भी स्थिति 1 के सामान हैं |

स्थिति 13 से 24 तक इसी सामान होंगे  इसके साथ ही पैरों को बदल कर करें |

स्थिति 1 से 12 तक आधा चक्र होता है | शेष आधा चक्कर उन्हीं बारह स्थितियों से बनता है | अंतर केवल इतना ही होता है कि स्थिति 16 में  बाएं पैर को पीछे ले जाते हैं और स्थिति 21 दाहिने पैर को हांथों के बीच सामने लाया जाता है | ह्रदय और धड़कन और स्वांस  सामान्य हो जाए तब दूसरे आधे चक्र को आरंभ करें | पूरे चक्र को कई बार कर लेने के बाद शवासन में लेट कर आराम करें और शरीर एवं स्वास को शिथिल होने दे |

 

Surya Namaskar Benefits | सूर्य नमस्कार के 13 लाभ

1.शक्ति, सामर्थ्य, लचक को बढ़ाने में मदद करता है।

2.एकाग्रता में सुधार करता है ।

3.नर्वस सिस्टम को शांत करता है |

4.शरीर को ऊर्जा देता है।

5.बच्चों की लंबाई बढ़ाने में मदद करता है,उनके शरीर को चुस्त बनाता है।

7.पूरे शरीर में रक्त संचार को बेहतर बनाता है

8.पूरे शरीर में लचीलापन आता है।

9.भोजन का पाचन बेहतर होता है पाचन तंत्र के रोग दूर करता है ।

10.सूर्य नमस्कार करने से पेट की चर्बी घटती है।

11.सूर्यनमस्कार शरीर में अकड़न को दूर करके लचीलापन लाता है |

12.इसके अलावा हड्डियों को मजबूत बनाकर तनाव को दूर करता है ।

13.स्मरण शक्ति को बढ़ता है आदि अनेक रोग दूर होते हैं |

 

Surya Namaskar Mantra | सूर्य नमस्कार के 12 मंत्र

सूर्य नमस्कार के प्रत्येक आसन के साथ एक विशेष मंत्र का जाप किया जाता है, जो सूर्य देवता की पूजा और समर्पण का प्रतीक होता है। यहाँ हम सूर्य नमस्कार के 12 मंत्र और उनके अर्थ की चर्चा करेंगे:

1.ओम मित्राय नमः (Om Mitraya Namah)

अर्थ: “मित्र” का अर्थ होता है  यानी दोस्त। इस मंत्र के द्वारा हम सूर्य देवता का स्वागत करते हैं और उनके साथ मित्रता और प्रेम की भावना प्रकट करते हैं।

2.ओम रवये नमः (Om Ravaye Namah)

अर्थ: “रवि” का अर्थ होता है “सूर्य”। इस मंत्र के द्वारा हम सूर्य देवता की महिमा और उनकी पूजा को नमस्कार करते हैं।

3.ओम सूर्याय नमः (Om Suryaya Namah)

 अर्थ: इस मंत्र में हम सूर्य देवता को समर्पित होकर उनकी पूजा करते हैं और उनकी आराधना करते हैं।

4.ओम भानवे नमः (Om Bhanave Namah)

 अर्थ: “भानु” का अर्थ होता है “जो चमकता है” या “प्रकाशित करता है”। इस मंत्र के द्वारा हम सूर्य देवता की उज्ज्वलता और प्रकाश की प्रशंसा करते हैं।

5.ओम खगाय नमः (Om Khagaya Namah)

 अर्थ: “खग” का अर्थ होता है “जो उड़ता है” या “पंख वाला”। यह मंत्र सूर्य देवता की शक्ति और उसकी गतिविधियों की प्रशंसा करता है।

6.ओम पूष्णे नमः (Om Pushne Namah)

अर्थ: “पूषण” का अर्थ होता है “पोषक” या “प्राणियों को पोषण करने वाला”। यह मंत्र सूर्य देवता के द्वारा हमें पोषित करने की प्रार्थना करता है।

7.ओम हिरण्यगर्भाय नमः (Om Hiranyagarbhaya Namah)

अर्थ: “हिरण्यगर्भ” का अर्थ होता है “सोने की गर्भ” या “सोने का अंडा”। इस मंत्र के द्वारा हम सूर्य देवता की सृष्टि के सृजनात्मक रचना की प्रशंसा करते हैं।

8.ओम मरीचये नमः (Om Marichaye Namah)

अर्थ: “मरीचि” का अर्थ होता है “प्रकाश” या “रोशनी”। इस मंत्र के द्वारा हम सूर्य देवता की दिव्यता और प्रकाश की प्रशंसा करते हैं।

9.ओम आदित्याय नमः (Om Adityaya Namah)

अर्थ: “आदित्य” का अर्थ होता है “सूर्य” या “आदित्य देवता”। इस मंत्र के द्वारा हम सूर्य देवता की आराधना और पूजा करते हैं।

10.ओम सावित्रे नमः (Om Savitre Namah)

अर्थ: “सावित्री” का अर्थ होता है “सूर्य की शक्ति” या “उसकी संजीवनी शक्ति”। यह मंत्र सूर्य देवता की ऊर्जा और शक्ति की प्रशंसा करता है।

11.ओम अर्काय नमः (Om Arkaya Namah)

अर्थ: “अर्क” का अर्थ होता है “प्रकाश” या “उज्ज्वलता”। इस मंत्र के द्वारा हम सूर्य देवता की उज्ज्वलता और प्रकाश की प्रशंसा करते हैं।

12.ओम भास्कराय नमः (Om Bhaskaraya Namah)

 अर्थ: “भास्कर” का अर्थ होता है “प्रकाशक” या “उज्ज्वलता देने वाला”। इस मंत्र के द्वारा हम सूर्य देवता की प्रकाश और उज्ज्वलता की प्रशंसा करते हैं।

ये मंत्र सूर्य देवता की महिमा और उनकी शक्तियों की प्रशंसा करते हैं और हमें सूर्य की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होने का मार्ग दिखाते हैं। इन मंत्रों का जाप करते समय, हमें सूर्य देवता के प्रति आदर और श्रद्धा की भावना रखनी चाहिए।

 

सूर्य नमस्कार की सावधानियां  Surya Namaskar

सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने में कई लाभ होते हैं, लेकिन इसे करते समय कुछ सावधानियां ध्यान में रखनी चाहिए। निम्नलिखित सावधानियां सूर्य नमस्कार के अभ्यास को सुरक्षित बनाने में मदद कर सकती हैं:

शुरुआती दौर में ध्यान दें:

अगर आपने पहले कभी सूर्य नमस्कार नहीं किया है, तो आराम से शुरुआत करें। अच्छा होगा कि पहले कुछ समय तक सिर्फ ध्यान और प्राणायाम के अभ्यास से शुरुआत करें और जब आपका शरीर तैयार हो, तब ही आसनों का अभ्यास करें। सुक्ष्म आसन सूर्य नमस्कार से पहले कर लें तो बहुत ही अच्छा होगा |

खाली पेट करें:

सूर्य नमस्कार का अभ्यास करते समय खाली पेट करें, आपके शरीर में उर्जा की कमी महसूस हो तो थोडा सा फल का जूस पी लें | क्योंकि यह आपके शरीर के लिए तनाव कारक हो सकता है। कम से कम २ घंटे के बाद ही इसे करें ताकि पाचन प्रक्रिया पूर्ण हो सके।

सीमितता में रहें:

अधिक आसनों की बजाय कम आसनों का अभ्यास करना बेहतर होता है। ज्यादा आसनों की कोशिश न करें, वरना आपके शरीर में थकान आ सकती है।

सावधानी से करें:

हर आसन को सही तरीके से करने के लिए सावधानी बरतें। अगर आपको किसी आसन में कोई समस्या हो तो तुरंत रुक जाएँ और उसे सही तरीके से करने का प्रयास करें।

खुद को दबाव में डालें:

अगर आपको किसी आसन में दर्द या असहज  महसूस हो रहा हो तो उसे करने से बेहतर होगा की उसे छोड़ दें। खुद को दबाव में न डालें। शरीर की सुने |

गर्मियों में सावधान रहें:

गर्मियों में सूर्य नमस्कार करते समय ध्यान रखें कि आप अपने शरीर को न जला लें। धूप में अधिक समय तक बिना संरक्षण के रहने से त्वचा को नुकसान हो सकता है।

गर्भवती महिलाएं और रोगी :

गर्भवती महिलाएं न करें | व्यक्तिगत रोगों से पीड़ित व्यक्तियों को सूर्य नमस्कार करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करना उचित होता है।

निष्कर्ष: सूर्य नमस्कार

सूर्य नमस्कार एक सुंदर और पूरी तरह से स्वास्थ्यपूर्ण योग प्रक्रिया है जो हमें शरीर, मन और आत्मा को संतुलित करने में मदद करता है। इसे नियमित रूप से करने से आप मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को सुधार सकते हैं। सूर्य नमस्कार का अभ्यास करके आप अपने शरीर को मजबूत और सुगठित बना सकते हैं, मानसिक चिंता, तनाव को कम कर सकते हैं और एक सकारात्मक दृष्टिकोण प्राप्त कर सकते हैं। सो, आइए आज से ही सूर्य नमस्कार का अभ्यास शुरू करें और एक स्वस्थ और सुखमय जीवन का आनंद उठाएं।

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आपके पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs

सूर्य नमस्कार कितनी बार करना चाहिए?
उ. – सूर्य नमस्कार को सुबह 3 बार या 12 बार करने से अच्छा परिणाम मिलता है। ध्यान रखे अपने समर्थ के अनुसार करें |

2. क्या सूर्य नमस्कार करने से वजन कम होता है?
उ. – सूर्य नमस्कार करने से वजन कम करने में मदद मिलती है क्योंकि इससे कैलोरी जलती है और शरीर की चर्बी को कम करने में मदद होती है।

3. क्या सूर्य नमस्कार प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए सुरक्षित है?
उ. – सूर्य नमस्कार को सावधानीपूर्वक और सीमित रूप से प्रेग्नेंट महिलाएं करें | ध्यान रखें जितना आराम से बेंड हो उतना ही करें | पेट में दबाव न पड़े | लेकिन पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

4. सूर्य नमस्कार का सबसे अच्छा समय क्या है?

उ. – सूर्य नमस्कार का सबसे अच्छा समय प्रात:काल के सूर्योदय के बाद होता है।

5.क्या सूर्य नमस्कार सिर्फ योग शिष्यों के लिए है?

उ. – नहीं, सूर्य नमस्कार सभी कर सकते हैं, चाहे वो योग शिष्य हो या नहीं हो । यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में सहायक होता है।

सूर्य नमस्कार का वीडियो देखें 

Surya Namaskar Video in Hindi

 

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