क्या आप पेट, कमर की चर्बी तेजी से घटाना चाहते हैं | पीठ के दर्द, तनाव दूर के लिए त्रिकोणासन करें | इसके साथ ही अनेक परेशनियों को दूर करता है |
त्रिकोणासन के फायदे
- यह आसन पेट के अंगों और पैरों, धड़ और नितंबों की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है |
- तनाव को नियंत्रित करने में सहायता करता है |
- कूल्हों की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है |
- यह रीढ़ की हड्डियों के लचीलेपन को बढ़ाता है |
- यह पेट के अंगों को शक्ति प्रदान करता है |
- यह बढ़ते हुए बच्चों की लंबाई को बढ़ाने में प्रभावी होता है |
- यह गर्दन और पीठ के दर्द को दूर करता है |
- साइटिका (Sciatica) से पीड़ित व्यक्तियों के लिए यह लाभदायक है |
- यह आसन पेट की चर्बी को कम करने में काफी लाभदायक है |
- इसके अभ्यास से हमारे फेफड़ों की फुल एक्सरसाइज हो जाती है इस दौरान हमअधिक मात्रा में ऑक्सीजन ले पाते हैं |
- यह हमारे कमर एवं तोंद की चर्बी को कम करने में काफी मददगार है, त्रिकोणासन का नियमित अभ्यास आपके शरीर को स्वस्थ एवं सुडौल आकार प्रदान करता है
- यह हमें तनाव मुक्त करने में काफी सहायक है साथ ही यह संतुलन को बनाए रखने के लिए एक अच्छा आसन है |
- यह आसन त्वचा से संबंधित रोगों को भी दूर करने में मदद करता है, इसके नियमित अभ्यास से जिन व्यक्तियों में के चेहरे में मुहासे दाने बार-बार आ जाते हैं तो इस समस्या को दूर करने में काफी मददगार आसन है |
त्रिकोणासन की सावधानियां
- पीठ के दर्द और पेट में प्रदाह (दर्द) होने पर इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए |
- अंतिम अवस्था में पैरों छाती और कूल्हों का पिछला हिस्सा एक रेखा में होना चाहिए |
- अंतिम मुद्रा को स्वांस लेते की सामान्य प्रक्रिया के साथ कायम रखें |
- बगल की तरफ झुकते समय घुटनों को न मोड़ें |
- इस आसन को करते समय आगे/पीछे की तरफ न झुकें |
- यदि व्यक्ति को चक्कर आ रहे हो तो इस आसन का अभ्यास ना करें |
- यदि सर एवं गर्दन में दर्द हो या माइग्रेन की समस्या हो रही हो तो इस आसन को ना करें |
- यदि आसन को करते वक्त शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द हो रहा हो तो इसआसन को बिल्कुल ना करें डॉक्टर से तुरंत जांच करवाएं एवं विशेषज्ञ की सलाह से ही दोबारा योग शुरू कर सकते हैं |
- यदि व्यक्ति को हृदय से संबंधित रोग स्लिप डिस्क या रक्तचाप जैसी समस्याएं हैं तो इस आसन को करने से बचें या योग विशेषज्ञ की सलाह लेने के बाद ही इस आसन का अभ्यास करें |
- भोजन के तुरंत बाद इस आसन का अभ्यास बिल्कुल न करें |
त्रिकोणासन की विधि
- पैरों को एक साथ करके, हाथों को जांघों कि बगल में रखते हुए सीधे खड़े हो जाएं |
- अपने पैरों को 2-3 फीट की दूरी पर करें |
- हाथों को बाहर की तरफ फैलाएं और उन्हें कंधे के स्तर तक स्पर्श के समांतर उठाएं ताकि वे एक सीधी रेखा में हो |
- शरीर को आगे की तरफ न झुकाते हुए कमर से दाएं तरफ झुके |
- दाएं हाथ को दाएं पैर के टखने पर रखिए |
- यदि संभव हो सके तो दाएं हथेली को फर्श पर भी टिकाया जा सकता है |
- बाएं हाथ को धीरे-धीरे दाएं तरफ लाते हुए फैलाएं हथेलियों को अंदर की तरफ करके इसे कान के ऊपर से नीचे की ओर लाएं जब तक कि यह समांतर न हो जाए | वैकल्पिक रूप से बाएं हाथ को कंधे के ऊपर दोनों हाथों को 180 की रेखा में सीधा रखा जा सकता है | स्वांस की सामान्य प्रक्रिया के साथ इस अवस्था को 5–10 सेकंड तक आराम से कायम रखें |
- इस अवस्था से वापस आने के लिए जाएं हथेली को उठाएं धड़ को उठाते हुए हाथों को बगल में कंधों के साथ एक रेखा लाएं | हाथों को नीचे करें और उन्हें जांघों की बगल में लाएं | अपने पैरों को एक साथ करें और आराम कीजिए |
- इस आसन को बाई तरफ से भी करें |
- यह एकाग्रता एवं तनाव प्रबंधन में सहायक करता है |