शवासन कैसे करें /shavasan kaise karen

Shavasan in Hindi

shavasan : शवासन संस्कृत का शब्द है  | यहां शब्द का अर्थ है मृत शरीर इससे शवासन इसलिए नाम दिया गया हैं | क्योंकि इस आसन को करते वक्त व्यक्ति का शरीर मृत या मृत्यु की अवश्था के समान दिखाई देता है | शवासन सम्पूर्ण शरीर और दिमाग को आराम देता है | शरीर की मांसपेशियों को रिलेक्स करता है | तनाव स्ट्रेस से छुटकारा मिलता है | शरीर के सभी रोगों को दूर करने में सहायक है | यह एक ऐसा आसन है | जिसे किसी भी उम्र के व्यक्ति कर सकते हैं | यह बहुत ही अच्छा आसान है | यहां इसकी विधि और लाभ बताए गए हैं |

shavasan in hindi
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शवासन करने का तरीका Shavasan Pose

  1. जमीन पर पीठ के बल शव के सामान लेट  जाएँ |
  2. पीठ के बल सीधे आसन पर लेटने के ऐड़ी पजे मिले रहें हाँथ बगल में हथेलियां जमीन पर |दोनों पैरों में लगभग एक से डेढ़ फिट का अंतर रखें |
  3. दोनों हांथों को कमर से 10 इंच की दूरी पर रखें हथेली ऊपर की ओरअंगुलियाँ थोड़ी मुड़ी रहेंगीऑंखें बंद रखें |
  4. सम्पूर्ण शरीर शिथिल शांत तनाव मुक्त (होल बॉडी रिलेक्स)शरीर में किसी भी प्रकार का तनाव न हो |
  5. शवासन में लेटे हुए अपनी मन की आँखों से देखें अंगों को शिथिल करें पहले शरीर का एक भाग भिर पैर के अंगूठे से लेकर शिर तक सभी अंगों को शिथिल करें |
  6. शवासन का अभ्यास करते समय बीच में ही नींद आ जाए तो आप इसके बहुत से लाभों से वंचित रह जायेंगे | सो जाने से मन विचारों और चिंताओं से घिरने लगता है | अतः इसका लाभ प्राप्त करने के लिए पूर्ण सजगता के साथ इस आसन का अभ्यास करना चाहिए |

शवासन करने की अवधि

आपके पास जितना समय हो उतना करें कम से कम 5 से 10 मिनट अवश्य करें आसनों के बीच में भी कर सकते हैं |यदि शवासन के लिए अलग से समय निकाले तो 15 से 20 मिनट का शवासन किसी भी व्यक्ति के लिए बहुत ही लाभदायक है |

शवासन का क्रम

शवासन के  क्रम में सबसे पहले पैर रिलेक्स करें फिर दोनों हाथ, पेट , कमर, पीठ, ह्रदय प्रदेश, नेक, सम्पूर्ण मस्तिष्क रिलेक्स करें | इस अभ्यास को आसनों के मध्य या गत्यात्मक आसनों के बाद कर सकते हैं- जैसे सूर्यनमस्कार के पश्चात् करना चाहिए या फिर आसन करते समय थक जाने पर कर सकते हैं | सबसे अच्छा सभी आसन करने के पश्चात् करें | इसके बाद प्राणायाम करें |

शवासन के लाभ Shavasan Benefits

  1. इस आसन के करने से स्नायु दुर्बल्यताथकान तथा नकारात्मक चिंतन दूर होता है |
  2. शरीरमनमस्तिष्क में पूर्ण विश्राम शक्ति उत्साह एवं आनंद मिलता है |
  3. यह आसन सभी आसनों के पश्चात करना चाहिए इससे थकावट दूर होती है |
  4. उच्च रक्तचाप (हाईब्लड प्रेसर) तथा ह्रदय के रोगों में अत्यंत लाभकारी होता है |
  5. यह आसन उन्माद और भयदुर्बलता को दूर करता है |
  6. इससे सम्पूर्ण शरीर को विश्रांति मिलती है शरीर एवं मन को शांत तथा शिथिल बनाकर यह आसन तनावजन्य रोगों का निवारण करता है उसका मन विषम परिस्थितियों में भी शांत चिंता रहित रहता है |
  7. जिन्हें उच्च रक्तचाप होतंत्रिका दौर्बल्य होमधुमेह और ह्रदयरोग तथा विशेष रूप से तनावजन्य रोगों से पीड़ित हैंउन्हें शवासन का अभ्यास नियमित रूप से प्रतिदिन करना चाहिए इससे स्वास्थ्य लाभ होता है |
  8. इसका अभ्यास करने से शरीर को ऊर्जा मिलती है | यह पूर्ण योगाभ्यास को करने के बाद अंतिम में करने वाला आसन है | यह शरीर का शिथिलीकरण करता है | इससे अभ्यास की थकान दूर होती है |
  9. यह आसन शरीर में स्थित वाद दोषों को संतुलित करता है तथा शरीर की सभी मांसपेशियों को विश्राम देता है तथा तनाव एवं चिंता मुक्त करने में अहम भूमिका निभाता है |
  10. ध्यान की स्थिति के लिए यह आसन बहुत ही लाभदायक है | यह हमें ध्यान की गहराई में ले जाता है एवं इसका अनुभव हम कर सकते हैं | इसलिए यह आसन ध्यान के लिए उत्तम माना गया है | शवासन का नियमित रूप से अभ्यास करें यह | हमें शारीरिक एवं मानसिक दोनों रूप से लाभान्वित करता है |
  11. शवासन शरीर की थकन को मिटाता है | मन की शांति प्रदान करता है |

शवासन का वीडियो Shavasan Yoga

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