जल नेति क्या है
यह शुद्धी योगिक क्रिया है | जिसमें जल से नाक की सफाई की जाती है | यह हठ योग में शुद्धी क्रियाओं में से एक है | इसका वर्णन घेरान्य संहिता और हठयोग प्रदीपिका में मिलता है | इससे नेत्र ज्योति बढ़ती है | यह नाक की सफाई के साथ-साथ साइनस, कफ, नाक बंद, सर्दी-जुखाम, प्रदूषण जैसी अनेक समस्यों से बचाता है | इसे जलनेति पात्र में गुन-गुना नमकीन युक्त पानी को जलनेति पॉट में डालकर पहले एक नासिका से फिर दूसरी नासिका की सफाई की जाती है |
जल नेति के लाभ Jala Neti Benefits
- नाक में जमे काफ को दूर करता है |
- सायनस रोग ठीक होता है |
- साइनोसाइटिस, ब्रोंकाइटिस जैसे रोग उत्पन्न नहीं होते |
- नाक का मल या श्लेष्मा बहार निकल जाता है |
- नाक की सफाई होती है |
- आँखों या कानों से सम्बंधित रोग (कष्ट) दूर होते हैं |
- नेति क्रिया’ इसका शास्त्रीय नाम है | इसका आधुनिक नाम ‘ई. एन. टी. केयर’ क्रिया है |
- इसका कान, नाक, और गले से सम्बन्ध है |
- इस क्रिया से गले की सफाई होती है | गले से सम्बंधित नाड़ियां हैं, वे उत्तेजित एवं प्रभावित होती हैं |
- सर्दी-जुखाम के उपचार के लिए इससे बढ़कर कोई सहज उत्कृष्ट उपाय नहीं है |
- यह आँखों की स्वच्छता सुरक्षा रखने के लिए सर्वोत्तम क्रिया है |
- आँखों की रक्त वाहनियों को गति मिलती है |
- आँखों की गंदगी को बाहर फेकता है |
- सर दर्द ठीक होता है |
- धुएं से एलर्जी, धूल से एलर्जी, कपड़े से एलर्जी, वातावरण से एलर्जी, पंखा चलने से एलर्जी इत्यादि दूर होती है |
- श्वसन सम्बन्धी रोग, जैसे दमा या ब्रोंकाइटिस उसका एक कारण एलर्जी होता है | नेति क्रिया से दूर होता है |
- अनिद्रा एवं थकावट दूर होती है |
- श्वसन क्रिया सरल होने के कारण फेफड़ों को शुध्द आक्सीजन काफी मात्रा में मिलती है |
- इससे बीमारी नहीं होने पाती शरीर सदा स्वस्थ रहता है |
Jala Neti की विधि
यह नेति क्रिया नासिका से की जाने वाली क्रिया है, इसमें एक टोटी वाला लोटा लें |
उकडू या एडियों पर झुककर बैठें | इसे कगासन में बैठ कर या खड़े होकर सिर झुकाकर भी कर सकते हैं | हल्का गुनगुना / शरीर के तापमान के बराबर पानी लेकर उसमें थोडा सा नमक मिला लें, टोटी वाले लोटे में पानी को भर लें |
पानी में नमक डालने का विशेष कारण है | नमकीन पानी में रसाकर्षण दबाव साधारण जल से अधिक होता है | अतः कोमल रक्त वाहिकाओं और झिल्लियों में नमकीन जल इतनी आसानी से प्रवेश नहीं कर पाता | साधारण जल से थोडा दर्द हो सकता है |
लोटे की टोटी को एक नासिका छिद्र पर घुसाएँ | सिर को एक ओर झुकाकर पानी को उसके ही दबाव से नासिका के अन्दर बहने दें | मुंह को खोलकर रखें | पानी एक नासिका से प्रवेश करके दूसरी से बाहर निकलता है इस क्रिया के समय श्वास-मुंह से लेते रहें | नेति करते समय नाक से श्वास न लें | कभी-कभी मुंह में पानी चला जाये तो कोई बात नहीं, सही विधि से करने पर ऐसा नहीं होता | 10-20 सेकेण्ड तक पानी को नासिका नली से बहने दें |
नाक को सुखना और नाक में जमा पानी बहार निकलना |
अब नेति लोटे की टोटी को नाक से निकालकर, एक नाक बंद कर, नाक को जोर से छिडकें, जिससे सारा जल बाहर निकल जाये | अधिक जोर से नहीं छिड़कें, अन्यथा नासिका नली में चोट पड़ने पर खून निकल सकता है | इसके बाद दूसरी नाक को बंद कर नाक छिड़कें | अब दूसरी नाक से इस नेति-क्रिया को 10-20 सेकेण्ड तक करें |
नाक सुखाना – उपयुक्त क्रिया के बाद नाक की नलिका को सुखा देना और उसमें पड़े सम्पूर्ण जल को निष्कासित कर देना चाहिए |
सीधे खड़े हो जाएँ | आगे झुकें, अंगूठे से एक नाक को उसकी बगल से दबाकर बंद करें | अब जोर से जल्दी-जल्दी श्वास लें और छोड़ें | श्वास छोडने की इस क्रिया में नाक से बचे हुए जल को निकालने पर ही अधिक ध्यान दें | इस क्रिया को दूसरी नाक से दुहरायें | इस साधारण से अभ्यास से नाक में बचा जल निकल जाये | यदि ऐसा लगे की पूरी तरह से पानी नहीं निकला तो इस अभ्यास को दुबारा करें |
पेट के बल लेट जाएँ (सिर निचे) जिससे नाक में फसा जल बहार निकल जाता है |
जल नेति की आवृति एवं समय
इसे आवश्यकता अनुसार किया जा सकता है | इसे प्रतिदिन किया जा सकता है | इसका सबसे अच्छा समय सुबह ( Morning ) है | नाक की बीमारी होने पर दिन में एक से अधिक बार किया जा सकता है |
जल नेति की सावधानियाँ
जिन्हें खून आने की बीमारी हो (नकसीर) उन्हें किसी सुयोग्य जानकर व्यक्ति के निर्देशन में करना चाहिए | जल अधिक गर्म न हो | नाक सुखाते समय अधिक जोर से न छिड़कें | नाक जाम न हो दोनों स्वर खुले हों | नाक की बनावट के कारण दूसरी नासिका से पानी निकलने में रुकावट होने पर सुयोग्य व्यक्ति की सलाह लेनी चाहिए | जल नेति करते समय नाक में जलन होने पर धीर-धीरे करें | आदत पड़ने पर जलन होना बंद हो जाती है |