Kapalbhati kaise kare | fayde aur nuksan

कपालभाती प्राणायाम के फायदे और नुकसान Kapalbhati kaise kare | fayde aur nuksan

कपालभाति एक महत्वपूर्ण षट्कर्म है, हठ योग में इसे शुद्धि क्रिया कहा जाता है। कई लोग इसे प्राणायाम बोलते हैं | घेरान्य संहिता में इसे शुद्धि क्रिया बताया है | कपालभाती शब्द दो संस्कृत शब्दों से बना है: कपाल जिसका अर्थ हैखोपड़ी“, और भाती का अर्थ हैचमकता हुआ, रोशन

यह मुख्य रूप से साइनस की सफाई के लिए है, लेकिन घेरंडा संहिता के अनुसार इसके कुछ जादुई उपचारात्मक लाभ हैं ।

Kapalbhati kaise kare | fayde aur nuksan के बारे में आगे वर्णन हैं

यह पाचन संबंधी समस्याओं में सुधार करता है और गैस्ट्रिक की सभी समस्याओं को दूर करता है। कपालभाति का अभ्यास करने से गैस, कब्ज से राहत मिलती है। इस क्रिया को करने से अनिद्रा की समस्या भी दूर होती है। यह एंडोर्फिन के उत्पादन को बढ़ाता है, जिससे आपके मूड स्विंग्स जैसी समस्या दूर होती हैं और स्ट्रैस कम होता है। 

Kapalbhati kaise kare | fayde aur nuksan
Kapalbhati kaise kare | fayde aur nuksan

1.कपालभाति कब और कैसे करना चाहिए :

कपालभाति का अभ्यास सुबह करना सर्वशेष्ठ माना जाता है और अगर आप कपालभाति का अभ्यास शाम को करना चाहते हैं तो   भोजन के तीन से चार  घंटे बाद  यानि आपने 1 बजे दिन में खाना खाया है तो सायं 5 बजे कपालभाती कर सकते हैं |  इसे खाली पेट करना चाहिए | धीरे धीरे अभ्यास करें, जोर न लगायें  |  

  कपालभाति कैसे करे अभ्यास और विधि इस प्रकार है |

     सर्व प्रथम अपनी कमर, गर्दन और रीढ़ को सीधा करके आराम से बैठें।

     कपालभाति प्राणयाम करने के लिए सिद्धासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठ जाएं और अपनी हथेलियों को घुटनों पर रखें | अदि आप वज्रासन बैठ कर रहे हो तो धीरे धीरे करें । सबसे अच्छा सिद्धासन, पद्मासन में बैठ कर करें |

     अपने हाथों को घुटनों पर रखें और हथेलियां को आसमान की ओर खुली रहें या ज्ञान मुद्रा में या वायु मुद्रा में रखें ।

     लंबी गहरी सांस अंदर लें।

     जैसे ही आप साँस छोड़ते हैं, अपनी नाभि को वापस रीढ़ की ओर खींचें।

      जितना हो सके आराम से करें।

      पेट की मांसपेशियों के संकुचन को महसूस करने के लिए आप अपना दाहिना हाथ पेट पर रख सकते हैं।

     अपनी हथेलियों की सहायता से घुटनों को पकड़कर शरीर को एकदम सीधा रखें। स्पाइन को सीधा रखें |

      अब अपनी पूरी क्षमता का प्रयोग करते हुए सामान्य से कुछ अधिक गहरी सांस लेते हुए अपनी छाती को फुलाएं। इसके बाद झटके से सांस को छोड़ते हुए पेट को अंदर की ओर खींचें

      जैसे ही आप अपने पेट की मांसपेशियों को ढीला छोड़ते हैं, सांस अपने आप ही फेफड़ों में पहुंच जाती है।

     कपालभाति प्राणायाम को करते हुए इस बात का ध्यान रखें की आपके द्वारा ली गई हवा एक ही झटके में बाहर जाए।

      इस प्राणायाम को करते समय आपको यह सोचना है कि आपके सारे नकारात्मक तत्व शरीर से बाहर जा रहे हैं।

     कपालभाति का एक चक्र पूरा करने के लिए, बिगनर को 10 या 20 बार सांस ले और दोहराएँ ।

      राउंड पूरा करने के बाद, अपनी आँखें बंद करके आराम करें और अपने शरीर में संवेदनाओं का निरीक्षण करें।

     कपालभाति में श्वासप्रश्वास सक्रिय बलवान होती है, बस अपनी सांस बाहर झटके से बाहर निकाले।

     सांस बाहर छोड़ते वक्त अपनी जागरूकता बनाए रखें।

     अपना पूरा फोकस सांसों पर रखने की कोशिश करें।

     ध्यान रखें, खाली पेट इस तकनीक का अभ्यास करें।

     स्वास छोड़ने में ध्यान दें | स्वास लेने पर नहीं | स्वास स्वतः ही अ जाती है |

2.कपालभाति कितनी देर करना चाहिए

शुरुआती दिनो में दो बार कपालभाति का अभ्यास शुरू कर सकते हैं और लगभग 10-20 स्टोक के प्रत्येक तीन राउंड लगा सकते हैं।

समय के साथ इसे धीरेधीरे अभ्यास को बढ़ाकर 30-40 काउंट प्रति राउंड किया जा सकता है। गंभीर रोग होने पर 10 मिनट से लेकर 25 मिनट तक कर सकते हैं |

3.कपालभाति प्राणयाम या क्रिया किसे नहीं करनी चाहिए

1.आपको हर्निया होने पर |

2. स्लिप डिस्क के कारण कमर में दर्द हो |

3.हाल ही में पेट की सर्जरी हुई हो |

4.महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान|

5.मासिक धर्म के दौरान|

इस प्रकार की समस्या होने पर श्वास शुद्धि क्रिया का अभ्यास करने से बचें। स्कलशाइनिंग ब्रीदिंग जैसे अभ्यासो को नहीं करना चाहिए इसमें पेट सिकुड़ने की क्रिया शामिल हैं ।

 उच्च रक्तचाप और हृदय की समस्या वाले लोगों को इस श्वास तकनीक का अभ्यास योग विशेषज्ञ (योग ट्रेनर) के मार्गदर्शन में ही करना चाहिए।

4.कपालभाति 1 मिनट में कितनी बार करना चाहिए

हृदय रोगों, हाईब्लडप्रेशर और पेट में गैस आदि शिकायतों में इस शुद्धिक्रिया का अभ्याश धीरे धीरे करना चाहिये | 60 बार एक मिनट में करना चाहिए, मतलब एक सेकेण्ड में एक स्टोक करें | 

शुरुवात में आप इसका अभ्यास 1 मिनट में  10 या 20 स्टोक करें | अभ्यास होने पर आप 1 मिनट में 60 स्टोक यानी एकराउंड लगा सकते हैं तथा इसी प्रकार आप इसके 5, 7, 11 और  21 राउंड भी लगा सकते हैं ।

 प्रतिदिन 100-300 स्ट्रोक का अभ्यास कर सकते हैं | (मध्यम गति सभी के लिए लाभदायक होती है)

5.कपालभाति करते समय आपको 3 प्रमुख गलतियां करने से बचना चाहिए:

1.कंधो में कंपन

विशेषज्ञों के अनुसार, सांस अंदर और बाहर करते समय, बहुत से लोग अपने कंधों को सिकोड़ लेते हैं | यह बिल्कुल नहीं करना चाहिए । यदि आप कपालभाति कर रहे हैं, तो यह सलाह दी जाती है कि अपने कंधों को शिथिल और स्थिर रखें। उन्हें अत्यधिक तनाव और कंपन देने से नुक्सान भी हो सकता है।

2. चेहरे को सिकोड़ना  

कपालभाति करते समय आप एक और गलती कर रहे होंगे, वह यह है कि जब आप श्वास लेते हैं और अपने फेफड़ों से हवा को बाहर निकालते हैं, तो अपना चेहरा सिकोड़ लेते हैं। अपनी आँखों को सिकोड़ने या अपने चेहरे को सिकोड़ने से आपके चेहरे पर झुर्रियाँ और महीन रेखाएँ हो सकती हैं इससे कोई लाभ नहीं होता है।

3. शरीर को  झुकाना

 आप कमर सीधी रखना और अभ्यास करते समय सीधे बैठने का प्रयास करना| आपके द्वारा किए जाने वाले सभी योगासन का एक अनिवार्य हिस्सा है।

 कपालभाति करते समय झुककर बैठने से आपके फेफड़ों में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो सकती है।

 इस प्रकार कपालभाति करते समय गर्दन स्पाइन सीधी

 कपालभाती की सावधानियां 

1.गर्भवती इसे न करें |

2.बुखार में इस प्राणायाम को न करें |

3.मासिक धर्म के दौरान इसे न करें |

4.खाने के तुरंत बाद इसे न करें | 3 से 4 घंटे बाद करें |

5.पेट की सर्जरी होने पर, 6 माह बाद इसका अभ्कयास करें |

6.ह्रदय रोग, हाई ब्लड प्रेसर होने पर धीरे धीरे करेंया योग प्रशिक्षक के मार्ग दर्शन में करें |

6.क्या हम कपालभाति रात में कर सकते हैं?

कपालभाति शुद्धि क्रिया एक योग तकनीक है जो आपकी नींद से संबधित किसी भी समस्या को दूर करने में मदद कर सकती है, इसीलिए कपालभाति का अभ्यास आप रात को या किसी भी समय खाली पेट कर सकते हैं। सोने से 2 से 3  घंटे पहले कर लें |  प्रयास करें 8 बजे के पहले कपालभाती प्राणायाम कर लें |

7.कपालभाती में कौनकौन से रोग ठीक होते हैं |

अस्थमा, स्वास रोग, कब्ज, मधुमेह, गठिया, वेटलोस,  किडनी लीवर के आदि रोग ठीक होते हैं |

कपालभाती के लाभ 

     कपालभाती के लाभ यह है कि फेफड़ों को डिटॉक्स करता है, नासिका नली को साफ करता है, फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाता है और सांस को नियंत्रित / सुचारू करता हैं।                

     कपालभाति शुद्धि क्रिया का प्रयास करने से यह शरीर में होने वाले टॉक्सिन्स को बाहर निकाल ने में मदद करता है।

     इस शुद्धि क्रिया का अभ्यास करने से खिलाड़ियों के अंदर खेलकौशल में वृद्धि होती है।

     अस्थमा रोगियों को इस  शुद्धि क्रिया को करने से बहुत ही राहत मिलती है।

     ये आंखों के नीचे के काले घेरों को भी ठीक करता है।

     कपालभाति शुद्धि क्रिया करने से मेटाबॉलिज्म बढ़ता है और वजन कम होने लगता है।

     दांतों और बालों संबंधी सभी रोग इस शुद्धि क्रिया को करने से दूर हो जाते हैं।

     इस शुद्धि क्रिया को करने से कब्ज, गैस, एसिडिटी जैसी पेट से संबंधित समस्या भी दूर हो जाती हैं

     कपालभाति का प्रयास करने से श्वसन मार्ग की सफाई हो जाती है, जिससे श्वसन संबंधी रोग दूर होते हैं।

     यह शुद्धि क्रिया साइनस को शुद्ध करता है तथा मस्तिष्क को सक्रिय करने में मदद करता है।

     श्वास रोग दूर होते हैं फेफड़े मजबूत होते हैं |

     फेफड़े शुद्ध होते हैं तथ कार्य क्षमता बढती है |

     तनाव दूर होता है तथा मानसिक शांति मिलती है |

     वजन कम होता है शरीर की शक्ति बढती है |

     पेट के रोग दूर होते हैं पाचन क्रिया मजबूत होती है |

 

8.कपालभाति के नुकसान

जीवन में किसी भी चीज की अति हानि कारक होती है । इसी तरह कपालभाति शुद्धि क्रिया का अभ्यास सही करने पर एवं जरुरत से अधिक करने से जी मिचलाना, सिरदर्द, उच्चरक्तचाप और हर्निया हो सकता है।

 कपालभाति प्रणायाम उचित मार्ग दर्शन में किया जाना चाहिए | कपालभाती क्रिया हमेश खाली पेट  किया जाता  है| ऐसा नहीं होने पर बुरे प्रभाव देखे गए हैं |

इस तरह की लापरवाही से इसका अभ्यास करने से अनेक समस्याएं हो सकती हैं। कपालभाति करते समय आपको कुछ सावधानियां भी बरतनी होगी । इस शुद्धि क्रिया का संबंध शरीर से नहीं दिमाग से होता है अगर आप गलत तरीकों से इस क्रिया को करेंगे तो न्यूरोलॉजिकल समस्या एवं ह्रदय संबंधी रोग हो सकते हैं। इसके गलत अभ्यास से स्वास सम्बन्धी रोग हो सकते हैं |

कपालभाति का वीडियो देखें 

 

 

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