भुजंगासन के लाभ | Benefits of Bhujangasana
भुजंगासन के अभ्यास से हमें कई लाभ मिलते हैं जो इस प्रकार बताए गए हैं
1. भुजंगासन का अभ्यास स्लिप डिस्क को पुनः अपनी जगह बैठाने पीठ दर्द दूर करने तथा मेरुदंड को लचीला एवं स्वस्थ रखने में लाभकारी आसन है | यदि मेरुदंड में कड़ापन हो तो वह मस्तिष्क द्वारा शरीर को भेजे जाने वाले स्नायविक आवेग के मार्गो में बाधा खड़ी करता है | इसलिए इस आसन का अभ्यास मेरुदंड के लिए मुख्य रूप से लाभकारी है |
2. यह आसन डिंब ग्रंथि एवं गर्भाशय को स्वस्थ बनाता है तथा महिलाओं में मासिक धर्म संबंधी एवं अन्य स्त्री रोगों के उपचार में सहायक है |
3. भुजंग आसन के नियमित अभ्यास करने से हमारे शरीर की अग्नि अर्थात पाचन शक्ति तीव्र होती है | यह हमारी भूख को बढ़ाता है एवं कब्ज को दूर करता है | इसके साथ ही अमाशय के सभी अंगों विशेषकर यकृत एवं पेट के लिए भी लाभकारी है |
4. इस आसन के नियमित अभ्यास हमारे शरीर में रक्त के ऊपर स्थित अधिवृक्क ग्रंथियों की भी महालय होती है और वे अधिक दक्षता के कार्य करने में सक्षम हो जाते हैं | जिससे कार्टिसोल का स्त्राव होता रहता है और थायराइड ग्रंथि का नियमन होता है |
5. भुजंगासन के अभ्यास से शरीर के तंत्रिका तंत्र को सुदृढ़ बनाया जा सकता है | हमारे शरीर में मस्तिष्क से पैरों के अंगूठे तक तंत्रिका तंत्र कहां हैं उन्हें इस अभ्यास से शक्ति प्राप्त होती है | साथ ही साथ शरीर के भीतर समन्वय एवं संतुलन स्थापित करने में लाभकारी आसन है |
6. प्राण के स्तर पर भुजंगासन का शक्तिशाली प्रभाव स्वाधिष्ठान मणिपुरम अनाहत एवं विशुद्धि चक्र पर पड़ता है | हमारे भीतर जो भुजंगनी देवी अर्थात कुंडलिनी शक्ति है | वह इस आसन के अभ्यास से जागृत होने लगती हैं |
7. भुजंगासन के अभ्यास से संपूर्ण शरीर की थकावट दूर होती है | शरीर में शक्ति और स्फूर्ति का संचार होता है साथ ही रक्त के संचार को तेज करता है और कमर के हिस्से में अतिरिक्त जमा चर्बी को कम करने में मदद करता है | जिससे शरीर सुंदर सुडौल आकर्षक बनता है |
8. भुजंगासन के नियमित रूप से अभ्यास करने से हमारे फेफड़ों को भी लाभ मिलता है या फेफड़ों से संबंधित रोगों को नियंत्रित करने में लाभकारी आसन है | यह हमारे फेफड़ों को मजबूत एवं स्वस्थ बनाता है | इसके अभ्यास से सीना चौड़ा भी होता है |
9. तनाव को कम करने में सहायक है | तनाव मानसिक हो या शारीरिक हो दोनों रूप में भुजंग आसन का अभ्यास लाभकारी है | चिंता एवं अवसाद जैसी समस्याओं को भुजंगासन के अभ्यास द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है |
10. इस आसन के अभ्यास से हमारे शरीर में पेनक्रियाज को संतुलित कर सही मात्रा में इंसुलिन बनाने में मदद करता है | जिससे मधुमेह जैसे रोगों को कम करने में लाभ प्राप्त होता है तथा यह आसन पैरा थायराइड ग्रंथि को सक्रिय करने में मदद करता है | जिससे थायराइड जैसी समस्या को कम करने में भुजंगासन लाभकारी साबित हुआ है |
11. इसका प्रभाव शरीर की मांसपेशियों में गहराई से होता है | दमा, मंदाकिनी तथा वायु दोषों का इसका विशेष प्रभाव है | इससे रीढ़ की हड्डी लचीली बनी रहती है |
भुजंगासन की विधि | Method of Bhujangasana
जमीन पर पेट के बल लेट जाइए | दोनों पैर मिलाकर अंगुलियां पीछे तलवे आकाश की ओर हाथ बगल से सटी हुई सीधी अंगुलियां मिली हुई | हथेली आसमान की ओर माथा जमीन से लगा रहेगा | हाथों को कुहनियों से मोड़ें तथा हथेलियां कंधे के पास छाती के करीब लगाइए |
अंगूठा बगल से रखिए थोड़ी जमीन पर लगाइए | दृष्टि सामने रखें | यह सर थोड़ा ऊपर उठाते हुए | जमीन से लगाइए द्रष्टि सामने रखें | थोड़ी सर के पीछे की ओर जितना मोड़ सकें मोड़ें | थोड़ी रोकिए | सिर धीरे नाभि के ऊपर प्रदेश छाती कंधे चीन अंत में अंत में गर्दन पीछे की ओर ले जाएं | जमीन से टिका दें | माथा और हाथों को शिथिल करें |
भुजंगासन की सावधानियां | Precautions of Bhujangasana
हाथों की अंगुलियां मिली रहेंगी | झटका देकर शरीर न उठाएं | नाभि या नाभि के नीचे का भाग किसी हालत में न उठायें | हाथ का अंगूठा आसन करने की स्थिति में पागल रखें | प्रारंभ में वजन हाथों पर रख सकते हैं | वापस आते समय कुछ लोग पहले सर झुका लेते हैं | ऐसा न करें | जो हिस्सा पहले उठता है | वह अंत में नीचे जाता है |
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