प्रोस्टेट की समस्या को दूर करने के लिए रामबाण 5 योगासन और जाने कारण, लक्षण
ख़राब दिनचर्या और ख़राब खान पान होने पर और मानसिक तनाव होने पर प्रोस्टेट जैसी बीमारी हो जाती है और आजकल 35 से 40 वर्ष के युवाओं में होने लगी है | पहले यह 60 से 70 वर्ष की उम्र में होती थी | प्रोस्टेट एक ग्लैंड है | यह मूत्राशय के नीचे मूत्र मार्ग के चारों तरफ होती है | मूत्र और वीर्य को बहार जाने से रोकती है | प्रोस्टेट ग्लैंड यदि बढ़ जाये या कमजोर हो जाने पर पेसाब रुक रुक कर आता है या पेसाब लगातार बहता रहता है या सक्त होने पर पेसाब रुक जाता है |
प्रोस्टेट की समस्या को दूर करने के लिए 5 योगासन हैं |
इन आसनों से प्रोस्टेट कम होता है 1.सिद्धासन 2.विपरीत करणी 3.गोमुखासन 4.वीरासन 5.तितली आसन और कपालभाती प्राणायाम, अनुलोम विलोम भी अवस्य करें | इससे प्रोस्टेट ग्रंथि की मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं और बढ़ा हुआ प्रोस्टेट नार्मल हो जाता है | 35 से 40 की उम्र वाले व्यक्तियों को प्रतिदिन करने से प्रोस्टेट की समस्या ठीक हो जाती है | इसे प्रतिदिन सुबह खाली पेट करना चाहिए | आगे देखें – प्रोस्टेट ग्रंथि का चित्र
प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने का कारण
१.हार्मोन्स का बिगड़ जाना |
२.अधिक उम्र होना या शारीरिक कमजोर होने पर |
३.मिर्च मसाले का अधिक मात्रा में प्रयोग करना |
४.आवश्यकता से अधिक सेक्स करना |
५.प्रोस्टेट की जगह चोट लगना |
६.शारीरिक व्यायाम या योगासन न करना |
७.किडनी का रोग होने पर, ख़राब होने पर |
8.गलत पदार्थ का खाना या पेट के रोग होने पर |
प्रोस्टेट में रोग (इन्फेक्शन) होने के लक्षण
१.पेशाब में जलन होना |
२.रुक रुक कर बार बार पेशाब आना |
३.पेशाब रुका हुआ है ऐसा महसूस होना |
४.सोते समय पेशाब का आना |
५.प्रोस्टेट में सूजन होना |
६.प्रोस्टेट का भाग सक्त (कठोर) हो जाना |
७ .पेशाब की धार (फ़ोर्स) कम हो जाना |
८.पेसाब करने पर दर्द होना |
प्रोस्टेट के लिए योगासन/Prostate ke Liye Yoga
प्रोस्टेट शरीर में उत्पन्न एक ग्रंथि है जो द्रव को उत्पन्न करने का कार्य करता है | प्रोस्टेट ग्लैंड को पुरुष ग्रंथि के नाम से भी जाना जाता है | प्रोस्टेट ग्रंथि से संबंधित समस्या 40 वर्ष से अधिक व्यक्तियों में देखने को मिलती है | आइये अब हम करते हैं –
प्रोस्टेट के लिए एक्सरसाइज एवं योगासन
सिद्धासन
विधि
1.इस आसन को करने के लिए सबसे पहले दंडासन की स्थिति में बैठ जाएं |
2.अब अपने बाएं पैर की एड़ी को दोनों पैरों के बीच में रखें और इस पैर पर अपना बाया पैर रखें |
3.इस स्थिति में दोनों पैर के टखने एक दूसरे पर होंगे |
4.अब अपने घुटनों को जमीन से स्पर्श कराते हुए रखें और अपने हाथों को ज्ञान मुद्रा पर लगाएं |
5.अब मेरुदंड कमर गर्दन को एक सीध में रखते हुए अपनी आंखों को कुछ समय के लिए बंद रखें |
6.कुछ समय होल्ड करें फिर अपनी सामान्य स्थिति में आ जाएं |
लाभ
इसके अभ्यास से सिवनी प्रदेश में प्रभाव पड़ता है | जिससेकुछ दिनों तक लगातार इस योगाभ्यास का प्रयास करने से बढ़ी हुई प्रोस्टेट ग्लैंड में काफी मदद मिलती है |
विपरीत करणी
विधि
1.सर्वप्रथम पीठ के बल सीधे लेट जाएं |
2.अब दोनों पैरों को एक साथ धीरे.धीरे ऊपर की ओर उठाने का प्रयास करें |
3.90 डिग्री के कोण में ऊपर पैर उठे हुए होने चाहिए |
4.अपने हाथों को सीधा रखें अब कमर के हिस्से को धीरे धीरे ऊपर की ओर हवा में उठाएं |
5.पीठ के हिस्से को हाथों का सहारा देते हुए ऊपर उठने का प्रयास करें |
6.इस तरह कुछ सेकंड इस मुद्रा में रहे फिर उन्हें सामान्य स्थिति में आ जाए |
लाभ
इस मुद्रा के अभ्यास से कमर और 12 हिस्से की मांसपेशियों को शक्ति मिलती है इससे पुरुषों की यौन ग्रंथियों की नसें उत्तेजित होती है | जिससे प्रोस्टेट के स्वास्थ्य में सुधार आता है | प्रोस्टेट के लिए यह मुद्रा प्रमुख रूप से लाभकारी है इसका नियमित अभ्यास करें |
गोमुखासन
विधि
1.सर्वप्रथम सुखासन की स्थिति में बैठ जाएं |
2.अब बाएं पैर की इंडिगो दाएं तरफ कूल्हे के पास रखें |
3.अब दाएं पैरको बाएं पैर के ऊपर से लाते हुए इस प्रकार रखें कि दोनों घुटने एक दूसरे के रखे हैं |
4.इसके पश्चात अपने दाएं हाथ को सिर के ऊपर की ओर से पीछे की ओर ले जाएं
5.बाएं हाथ की कोहनी को भी मुड़ कर पीछे की ओर ले जाएं |
6.अब दोनों हाथों का फिंगर लॉक करते हो गए एक सीधी लकीर के समान आकृति बनाएं |
7.ऐसी स्थिति में कुछ समय तक रुके फिर अपनी सामान्य स्थिति में आ जाए इस प्रकार दूसरे और से भी करें |
लाभ
इस आसन के नियमित अभ्यास करने से बड़े हुए प्रोस्टेटग्लैंड की वृद्धि में कमी लाता है तथा इससे संबंधित रोग होने की संभावना को कम करता ह
इन आसनों के साथ.साथ विशेष रूप से कपालभाति प्राणायाम भी प्रोस्टेट के लिए विशेष रूप से लाभदायक माना गया है इसका नियमित रूप से अभ्यास करने से तो स्टेट ग्लैंड से संबंधित रोगों को नियंत्रित किया जा सकता है
वीरासन
1.योगा मेट बिछाकर वज्रासन में बैठ जाएँ
2.हाथ का सहारा देकर एडियों को हिप्स के बाजू में कर ले
3.धीरे-धीरे करें घुटनों में प्रेसर न आये
4.हिप्स मेट पर कर लें
5.हतेलियों को घुटनों पर रखें
6.गहरी स्वास लें और छोड़ें
तितली आसन
1.मेट पर बैठ जाएँ सामने की ओर पैर करें
2.धीरे से पैर मोड़कर
3.एडियों को मोड़कर लिंग मूत्र इन्द्रिय के पास करें
4.पैरों के तलवों को दबाएँ
5.रीढ़ को सीधा करें
6.दोनों थाई, घुटनों को तितली के पंख के जैसे हिलाएं
7.1 मिनट तक करने के बाद गहरी स्वास लें
8.सामान्य स्तिथि में अ जाएँ
तितली आसन के लाभ
1.पुरुषों के प्रोस्टेट रोग ठीक होता है |
2.बच्चों के लिए बहुत उपयोगी है हड्डियाँ मजबूत व मेमोरी को बढाता है |
3.रीढ़ की हड्डी को स्ट्रांग बनाता है इससे बॉडी का पोस्चर अच्छा होता है |
4.यौन शक्ति को बढाता है रक्त संचार को बढाता है |
5.स्पर्म काउंट को बढाता है |
कपालभाति प्राणायाम
विधि
1.सर्वप्रथम किसी ध्यानात्मक आसन जैसे सुखासन या पद्मासन की स्थिति में बैठ जाएं |
2.दोनों हाथों को घुटनों पर रख लें |
3.रेड गर्दन कमल एक सीध में रखें दोनों आंखें बंद रखे |
4.अब अपने पेट को ढीला छोड़ दें एवं तेजी से सांस को नाक से बाहर निकाले |
5.श्वास बाहर करते समय पेट अंदर की ओर जाएगा |
6.इस प्रकार इस प्राणायाम का अभ्यास करें |
7.ध्यान रहे स्वांस छोड़नी है सांस लेने की प्रक्रिया अर्थात पूरक स्वयं ही इस प्राणायाम में हो जाएगा |
लाभ
यह कमर के नीचे के हिस्से एवं गैलरी को मजबूती प्रदान करता है एवं प्रोस्टेट से संबंधित समस्याओं से राहत दिलाने में सहायता करता है |
प्रोस्टेट रोग दूर करने का विडियो